Uttarakhand News, 02 June 2023: देहरादून: प्रदेश में मिलने वाले लावारिस शव अब इस्तेमाल में लाए जाएंगे. जी हां लावारिस शवों का उपयोग अब मेडिकल कॉलेजों के छात्र पढ़ाई में करेंगे. इसको लेकर उत्तराखंड सरकार जल्द ही एक नियमावली तैयार करने में लगी हुई है. ताकि मेडिकल के छात्रों को प्रैक्टिकल और पढ़ाई के लिए पर्याप्त बॉडी मिल सकें. उत्तराखंड सरकार के इस फैसले से मेडिकल कॉलेजों को काफी सहूलियत होगी.

मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की पढ़ाई के लिए डेड बॉडी की जरूरत होती है. लेकिन पर्याप्त मात्रा में मेडिकल कॉलेजों को डेड बॉडी नहीं मिल पाती हैं. जिससे उन्हें कई बार काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि अब सरकार भी इस विचार करने जा रही है. ताकि मेडिकल कॉलेजों को आसानी से डेड बॉडी मिल सके. इसके लिए राज्य सरकार अज्ञात शवों के इस्तेमाल को लेकर नियमावली बनाने पर जोर दे रही है.

इस नियमावली के बनने के बाद अज्ञात शवों का आसानी से मेडिकल की पढ़ाई में इस्तेमाल किया जा सकता है. वर्तमान समय में मेडिकल कॉलेजों में जो परिजन शव दान में देते हैं, उन्हीं पर छात्र प्रैक्टिकल करते हैं. इसके अलावा भी कुछ अज्ञात शवों पर भी प्रैक्टिकल कराया जाता है, लेकिन अज्ञात शव पर प्रैक्टिकल करने के लिए मेडिकल कॉलेजों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए राज्य सरकार अज्ञात शवों के बेहतर इस्तेमाल को लेकर ही नियमावली तैयार कर रही है, ताकि आने वाले समय में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को बेहतर प्रैक्टिकल के लिए पर्याप्त मात्रा में शव उपलब्ध कराये जा सकें.

दरअसल, उत्तराखंड में हर साल करीब 300 से ज्यादा अज्ञात शव मिलते हैं, जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाती है. न ही पुलिस उनके बारे में कोई जानकारी जुटा पाती है. आखिर में सरकारी खर्च पर इन शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क से मिली जानकारी के अनुसार 1 जनवरी से 31 मई 2023 तक 126 लावारिस शव मिले हैं, जिनकी अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है. इसी क्रम में साल 2022 में 339 शव, साल 2021 में 304 शव और साल 2020 में 222 शवों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पायी है.

यही वजह है कि सरकार इन शवों का बेहतर इस्तेमाल करना चाहती है. ताकि मेडिकल के छात्रों को इसका फायदा मिल सके. वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि बहुत जल्द इसकी नियमावली तैयार कर इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा, ताकि जो अज्ञात शव होते हैं उनका मेडिकल कॉलेजों में प्रैक्टिकल के लिए इस्तेमाल किया जा सके.