Uttarakhand News, 05 September 2023: नई दिल्ली : राष्ट्रपति को भेजे गए एक आमंत्रण पत्र पर विवाद शुरू हो गया है. इस आमंत्रण पत्र में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है. यह आमंत्रण जी-20 समिट के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले रात्रि भोज को लेकर दिया गया है. कांग्रेस पार्टी ने इस पर आपत्ति दर्ज की है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद एक में लिखा है, ‘इंडिया देट इज भारत’, ‘राज्यों का समूह’ होगा. रमेश ने कहा कि अब ‘इंडिया’ रहेगा ही नहीं, ऐसा लग रहा है कि वे राज्यों के समूह पर हमला कर रहे हैं.
इस मामले पर अभी तक सरकार की ओर से कुछ भी नहीं कहा गया है. लेकिन जिस तरीके से भाजपा नेता और भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने टिप्पणी की है, उससे बहुत बड़ा संदेश छिपा है. असम के मुख्यमंत्री ने ट्विट में रिपब्लिक ऑफ भारत लिखा है.
भाजपा सांसद हरनाथ सिंह ने मांग की है कि हमें इंडिया की जगह पर भारत शब्द का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अंग्रजों ने इंडिया शब्द को एक ‘गाली’ की तरह प्रयोग किया था, जबकि भारत हमारी संस्कृति का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि अगर इसके लिए संविधान में संशोधन भी करना पड़े, तो करना चाहिए. भाजपा महासचिव तरुण चुग ने कहा कि जयराम रमेश को भारत शब्द से क्यों आपत्ति है, इसे बताना चाहिए.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी ऐसी ही दलील दी है. उन्होंने कई मौकों पर कहा कि हमलोगों को इंडिया की जगह भारत नाम का इस्तेमाल करना चाहिए. भागवत ने कहा कि भारत नाम प्राचीन काल से ही चला आ रहा है, इसलिए इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संभव है कि मोदी सरकार संसद के विशेष सत्र में इस मुद्दे पर भी एक बिल ला सकती है. 18-22 सितंबर तक के लिए मोदी सरकार ने संसद के विशेष सत्र बुलाए जाने की घोषणा की है. इस दौरान कौन-कौन से बिल सरकार लाएगी, इस पर आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है.
दरअसल, इंडिया शब्द पर विवाद उसी दिन से शुरू हो गया था, जिस दिन विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा. राजद नेता मनोज झा ने कहा कि भाजपा इंडिया गठबंधन के गठन के दिन से ही घबराई हुई है, लेकिन न तो वे इंडिया, और न तो भारत, किसी को भी हमसे नहीं छीन सकेंगे.