Uttarakhand News, 24 October 2023: हिमालयी इलाकों में उगने वाला पौधा घिंघारू दर्द निवारण में बेहद असरदार है। पहली बार इस जंगली पौधे पर हुए शोध से पता चला है कि घिंघारू का एन्जाइम मैकेनिज्म अन्य दवाओं से कई गुना बेहतर है। अब इसका इस्तेमाल दर्द निवारक दवाएं बनाने में हो सकेगा।
दिल्ली भेषज विज्ञान एवं शोध विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन को जर्नल ऑफ एथनोफार्माकॉलोजी ने प्रकाशित भी किया है। शोध के लिए पिथौरागढ़ जिले के घिंघारू के फल और पत्तियों पर अध्ययन किया गया।
शोध दल में शामिल भेषज विभाग के प्राध्यापक डॉ. देवेश तिवारी ने बताया कि घिंघारू में वह सभी तत्व मौजूद हैं जो दर्द निवारक दवाओं में मिलते हैं। शुरुआती तुलनात्मक अध्ययन में पता चला कि घिंघारू का एन्जाइम मैकेनिज्म इन दवाओं से भी तेज काम कर रहा है।
प्रोटीन से भरपूर पौधा
घिंघारू को हिमालयन फायर र्थार्न के नाम से भी पुकारा जाता है। घिंघारू के छोटे-छोटे फल गुच्छों में लगे होते हैं। हालांकि, सितंबर में पकने पर ये नारंगी या गहरे लाल रंग के हो जाते हैं। ये फल हल्के खट्टे, कसैले और स्वाद में मीठे होते हैं। घिंघारू में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है। इसका पौधा मध्यम आकार का होता है और शाखाएं कांटेदार होते हैं।
फलों के मुकाबले पत्तियां ज्यादा असरदार
शोध के अनुसार, घिंघारू के फलों की अपेक्षा पत्तियां ज्यादा असरदार पाई गई हैं। अलग अलग संस्थानों में घिंघारू का फार्माकोलॉजिकल एवं रासायनिक अध्ययन किया गया। बताया कि अब तक घिंघारू के बारे में केवल मौखिक ज्ञान था।
यह पहली बार है जब इसका प्रयोगशाला में वैज्ञानिक अध्ययन और शोध हुआ। जिससे इसके गुणों के बारे में पता चला है। उन्होंने बताया कि अभी और अधिक शोध की जरूरत है ताकि इसके अन्य गुण पता लग सकें।