Uttarakhand News, 21 November 2022 : दिल्ली के श्रद्धा हत्याकांड में अगले दो दिन में आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट हो सकता है। आफताब की पुलिस रिमांड खत्म होने वाली है, इसलिए बचे हुए समय में पुलिस कई और सबूत जुटाने की कोशिश में है। पुलिस को भरोसा है कि नार्को टेस्ट में आफताब कई राज खोल सकता है।

क्‍या होता है नार्को टेस्‍ट:

नार्को टेस्‍ट एक तरह का एनेस्थीसिया (Anesthesia) होता है जिससे आरोपी अर्धबेहोशी (न पूरी तरह होश और ना ही बेहोश ) की हालत में होता है। इस टेस्‍ट का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब आरोपी (जिसका टेस्‍ट होना है) को इस बारे में पता हो और उसने खुद इसकी अनुमति दी हो। इस टेस्‍ट से आरोपी के अंदर से सच्‍चाई बाहर निकलवाने का काम किया जाता है। यह भी हो सकता है कि व्यक्ति नार्को टेस्ट के दौरान भी सच न बोले। इस टेस्ट में व्यक्ति को ट्रुथ सीरम इंजेक्शन दिया जाता है। वैज्ञानिक तौर पर इस टेस्ट के लिए सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल जैसी दवाएं दी जाती हैं। इस दौरान मॉलिक्यूलर लेवल पर किसी शख्स के नर्वस सिस्टम में दखल देकर उसकी हिचक कम की जाती है। जिससे व्यक्ति स्वाभविक रूप से सच बोलने लगता है।

किस दवा को देते ही इंसान सच बोलने लगता है?

इस टेस्ट में इंसान की नसों में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल इंजेक्ट किया जाता है। एनेस्थीसिया के जरिये जिसे ये इंजेक्शन दिया जाता है, इसके चलते शख्स की चैतन्यता कम होती जाती है। मतलब वह बेहोशी जैसी हालत में रहता है, हालांकि पूरी तरह से बेहोश नहीं रहता है। इस दौरान उसमें अलग से कुछ सोचने और समझने की क्षमता नहीं रहती है। ऐसे में जो भी सवाल पूछा जाता है, आमतौर पर वह सबकुछ सही बताता है।

क्या नार्को टेस्ट के दौरान आरोपी झूठ भी बोल सकता है?

नार्को टेस्ट के दौरान इंसान सच ही बोले। कई मामलों में शातिर अपराधी नार्को टेस्ट को भी धोखा दे देते हैं। निठारी कांड में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब इस टेस्ट के जरिए पुलिस को कुछ खास नहीं मालूम चल पाया था। इसी तरह 2007 में हैदराबाद के दोहरे बम ब्लास्ट मामले के आरोपी अब्दुल करीम और इमरान से भी नार्को टेस्ट में जांच एजेंसी कुछ खास नहीं कबूल करवा पाई थी।’

उन्होंने बताया कि कई शातिर बदमाश खूब नशे में रहते हैं और इसके बावजूद वह अपनी बातों को जाहिर नहीं होने देते हैं। ऐसे में कई तरह का ट्रिक लगाकर नार्को टेस्ट को भी धोखा दे सकते हैं।

नार्को टेस्ट के जरिए इन सवालों के जवाब तलाशेगी पुलिस:

  1. श्रद्धा की हत्या कब और क्यों की? क्या इसमें कोई और भी शामिल है?
  2. श्रद्धा के सिर व शरीर के अन्य के टुकड़ों को कहां-कहां फेका?
  3. श्रद्धा और खुद के कपड़ों को कहां रखा?
  4. जिस हथियार से श्रद्धा के शव के टुकड़े किए, उसे कहां छिपाया?
  5. श्रद्धा का मोबाइल कहां है?

देश में इससे पहले कब हुए हैं नार्को टेस्ट’:

1-भारत में पहली बार 2002 में गोधरा कांड मामले में नार्को एनालिसिस का इस्तेमाल किया गया था
2-फिर साल 2003 में अब्दुल करीम तेलगी को तेलगी स्टांप पेपर घोटाले में टेस्ट के लिए ले जाया गया था
3-कुख्यात निठारी सीरियल कांड के दो मुख्य आरोपियों का गुजरात के गांधीनगर में नार्को टेस्ट भी हुआ था.
4-साल 2007 के हैदराबाद ट्विन ब्लास्ट की घटना में, अब्दुल कलीम और इमरान खान का नार्को टेस्ट
5-2010 में कुर्ला में नौ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के आरोपी मोहम्मद अजमेरी शेख का भी नार्को टेस्ट किया गया था
6-साल 2010 में ही आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार का सीबीआई ने नार्को टेस्ट कराया था
7-साल 2012 में 26/11 के मुंबई हमले में भी जिंदा बचे एकमात्र आतंकी अजमल कसाब का नार्को टेस्ट किया गया था