Uttarakhand News 18 Nov 2025 देहरादून। उत्तराखंड सरकार ठेली–फड़ी (स्ट्रीट वेंडर्स) संचालकों की पहचान अब पूरी तरह पारदर्शी बनाने जा रही है। राज्य के एक लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स का डिजिटल सर्वे कर उन्हें यूनिक वेंडर आईडी और क्यूआर कोड दिए जाएंगे। यह क्यूआर कोड हर वेंडर के ठेले पर लगाना अनिवार्य होगा।
क्यूआर कोड स्कैन करते ही वेंडर का नाम, स्थायी पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, राशन कार्ड, फोटो और अन्य सत्यापित जानकारी तुरंत सामने आ जाएगी। पहचान छिपाकर व्यापार करने की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है।
क्यों उठाया गया यह कदम?
कई मामलों में पाया गया कि कुछ वेंडर्स पहचान छिपाकर व्यापार कर रहे थे, जिससे विवाद और सुरक्षा संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं। इसी के बाद सरकार ने पूरे प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर्स का डिजिटल सर्वे और पंजीकरण कराने का फैसला लिया।
इसके लिए शहरी विकास विभाग ने आईटीडीए (Information Technology Development Authority) के साथ एमओयू किया है। आईटीडीए इसके लिए एक विशेष मोबाइल एप विकसित कर रहा है।
कैसे होगा वेंडर्स का डिजिटल सर्वे?
- प्रत्येक शहरी निकाय की टीम मोबाइल एप के माध्यम से वेंडर्स की पूरी जानकारी भरेंगी।
- एप लोकेशन ऑटो-कैप्चर करेगा, जिससे पता चलेगा कि वेंडर कहां ठेला लगाता है।
- आधार नंबर डालते ही यूआईडीएआई से सत्यापन हो जाएगा।
- वेंडर की फोटो मोबाइल कैमरे से ली जाएगी।
- राशन कार्ड, मोबाइल नंबर और पता भी इसमें दर्ज किया जाएगा।
- सारी जानकारी तुरंत क्लाउड-बेस्ड स्टेट सर्वर पर सुरक्षित अपलोड होगी।
- हर वेंडर को मिलेगी एक यूनिक वेंडर आईडी।
- उसी के आधार पर तैयार होगा क्यूआर कोड, जिसे ठेले पर लगाना अनिवार्य है।
क्यूआर कोड कैसे काम करेगा?
- ग्राहक अपने मोबाइल कैमरे से क्यूआर कोड स्कैन करेगा।
- स्कैन करते ही अधिकृत पोर्टल खुल जाएगा।
- वहाँ वेंडर की सार्वजनिक जानकारी जैसे– नाम, पहचान, वेंडर आईडी, लोकेशन आदि दिखाई देगी।
यह प्रणाली न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगी बल्कि विवाद होने पर वेंडर की पहचान और लोकेशन का पता लगाना बेहद आसान बना देगी। साथ ही यह शहरों में वेंडिंग जोन की बेहतर प्लानिंग में भी मदद करेगी।







