Uttarakhand News 18 Nov 2025 नई दिल्ली/फरीदाबाद। दिल्ली ब्लास्ट की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। फरीदाबाद की धौज स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े संदिग्ध आतंकी डॉक्टर और उनके साथी करीब 12 किलोमीटर लंबे अरावली रूट का इस्तेमाल कर नजरों से बचते हुए दिल्ली में प्रवेश करते थे। जांच एजेंसियों के अनुसार यह रास्ता सुनसान, बिना लाइट का और पूरी तरह से पहाड़ी व जंगलों से घिरा हुआ है—इसलिए संदिग्ध लगातार इसी मार्ग का उपयोग करते रहे।
यूनिवर्सिटी से अरावली होते हुए दिल्ली तक ऐसे पहुंचते थे आरोपी
सूत्रों के अनुसार संदिग्ध आतंकी डॉक्टर यूनिवर्सिटी से निकलकर पहले मेन रोड पर आते थे।
यहां से धौज थाने के पास से वे सिलाखड़ी गांव की ओर बढ़ते। सिलाखड़ी गांव के आगे बढ़ते ही अरावली की पहाड़ियां शुरू हो जाती हैं।
- सिलाखड़ी से मांगर गांव तक का रास्ता लगभग 6–7 किलोमीटर
- दोनों ओर घना जंगल और ऊंची-नीची पहाड़ी रास्ते
- रात में रास्ता बिल्कुल सुनसान व पूरी तरह अंधेरा
- कोई स्ट्रीट लाइट या सुरक्षा चौकी नहीं
अरावली के चढ़ाई-ढलान वाले पथों को पार कर ये लोग मांगर गांव पहुंचते थे। इसके बाद मार्ग आगे जाकर गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड पर मांगर चौकी के पास निकलता है। यहां से लगभग 1 किलोमीटर और आगे बढ़ते ही दिल्ली की सीमा शुरू हो जाती है।
एजेंसियों के मुताबिक आतंकी मॉड्यूल के कई सदस्यों ने इसी गुप्त पहाड़ी रास्ते से दिल्ली में कई बार आवाजाही की और अलग-अलग इलाकों में पहुंचकर रेकी भी की।
क्या हिंदू एकता यात्रा थी संदिग्धों का संभावित टारगेट?
8 नवंबर को फरीदाबाद में पहुंचे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता यात्रा भी इसी रूट से होकर शहर में दाखिल हुई थी।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि आशंका है—
यह यात्रा संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल का संभावित टारगेट हो सकती थी।
हालांकि इससे पहले ही 30 अक्टूबर को डॉ. मुज्जमिल की गिरफ्तारी होने के कारण वे अपनी योजना को अंजाम नहीं दे सके।
यात्रा इस रूट से होती हुई
- गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड
- हनुमान मंदिर
- सैनिक कॉलोनी
से होकर एनआईटी ग्राउंड पहुंची थी।
नाकाबंदी नहीं, सुरक्षा व्यवस्था शून्य
जांच एजेंसियों के मुताबिक
- पूरे रूट में कोई नाकाबंदी नहीं है
- न ही कोई चेकिंग पॉइंट
- रास्ता बेहद सुनसान और बाहरी नजरों से छुपा हुआ
इसी वजह से यह मार्ग संदिग्ध आरोपियों के लिए सबसे आसान और सुरक्षित विकल्प बन गया।







