Uttarakhand News 02 April 2025: नैनीताल। Uniform Civil Code: हाई कोर्ट ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून की संवैधानिकता सहित उसके प्रविधानों को चुनौती देती याचिकाओं पर राज्य सरकार की ओर से समय मांगने पर 48 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर एक साथ अगली सुनवाई तिथि 22 अप्रैल नियत कर दी।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष यूसीसी को चुनौती देती आधा दर्जन से अधिक याचिकाएं दायर हैं। भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी ने यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप के प्रविधान को जबकि मुस्लिम, पारसी आदि के वैवाहिक पद्धति की अनदेखी किए जाने सहित अन्य प्रविधानों को भी चुनौती दी है।

लिव इन रिलेशनशिप में उम्र 18 वर्ष निर्धारित
याचिका में कहा गया है कि जहां सामान्य शादी के लिए लड़के की उम्र 21 व लड़की की 18 वर्ष होनी आवश्यक है जबकि लिव इन रिलेशनशिप में दोनों की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई है। ऐसे रिश्ते से पैदा होने वाले बच्चे कानूनी कहे जाएंगे या अवैध माने जाएंगे।

अगर कोई व्यक्ति अपनी लिव इन रिलेशनशिप से छुटकारा पाना चाहता है तो वह एक साधारण प्रार्थना पत्र रजिस्ट्रार को देकर करीब 15 दिन के भीतर अपने पार्टनर को छोड़ सकता है। जबकि विवाह में तलाक लेने के लिए पूरी न्यायिक प्रक्रिया अपनानी पड़ती है और दशकों के बाद तलाक होता है, वह भी पूरा भरण-पोषण देकर।

आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों में हस्तक्षेप कर हनन किया है। यूसीसी लागू होने के बाद लोग शादी न करके लिव इन रिलेशनशिप में ही रहना पसंद करेंगे। जब तक पार्टनर के साथ संबंध अच्छे होंगे तब तक रहेंगे अन्यथा छोड़ देंगे।

वर्ष 2010 के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर तीन माह की सजा या 10 हजार का जुर्माना देना होगा।

अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों की अनदेखी:
देहरादून के एलमसुद्दीन सिद्दीकी ने अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों की अनदेखी किए जाने का उल्लेख किया है। अन्य याचिकाओं में कहा गया है कि इस्लामिक रीति रिवाजों व कुरान तथा उसके अन्य प्रविधानों की अनदेखी की गई है। कुरान की आयतों के अनुसार पति की मौत के बाद पत्नी उसकी आत्मा की शांति के लिए 40 दिन तक प्रार्थना करती है जबकि यूसीसी उसको प्रतिबंधित करता है।

वहीं शरीयत के अनुसार संगे-संबंधियों को छोड़कर इस्लाम में अन्य से निकाह करने प्रविधान है, यूसीसी में इसकी अनुमति नहीं है। उत्तराखंड जमात-ए-उलेमा हिंद के अध्यक्ष हल्द्वानी निवासी मो. मुकीम, हरिद्वार निवासी सचिव तंजीम, नैनीताल निवासी सदस्य शोएब अहमद, देहरादून के मो.शाह नजर, अब्दुल सत्तार, जावेद अख्तर, आकिब कुरैशी व नईम अहमद, बिजनौर के हिजाब अहमद के अलावा अधिवक्ता आरुषि गुप्ता, समर्थ अनिरुद्ध ने याचिकाएं दायर की है।

सरकार को किसी की निजता को जानने का अधिकार नहीं
लिव इन में रह रहे महाराष्ट्र के युवक व रानीखेत की युवती ने याचिका दायर कर कहा है कि लिव इन पंजीकरण के लिए पूर्व की जानकारियों का विवरण मांगा जा रहा है, जो निजता का हनन है। सरकार को किसी व्यक्ति की निजता को जानने का अधिकार नहीं है।