Uttarakhand News 27 Nov 2025: बदरीनाथ धाम को तप और साधना के लिए पवित्र स्थान माना जाता है। यहां अत्यधिक बर्फबारी में भी कई साधु-संत गुफाओं और अपनी कुटिया में रहकर तपस्या में लीन रहते हैं। इस वर्ष शीतकाल में बदरीनाथ धाम में रहने के लिए 20 लोगों ने आवेदन किए हैं। इनमें अधिकांश साधु-संत हैं। जिन्होंने शीतकाल में यहां तप, साधना करने की अनुमति मांगी है।
बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद किसी भी व्यक्ति को हनुमान चट्टी से आगे जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। शीतकाल में छह महिने बदरीनाथ धाम क्षेत्र सेना, आईटीबीपी और मंदिर समिति के कर्मचारियों के हवाले रहता है। बदरीनाथ धाम ध्यान, साधना का केंद्र है।
ज्योतिर्मठ तहसील प्रशासन से अनुमति लेनी जरुरी
शीतकाल में अत्यधिक बर्फबारी के बावजूद कई साधु-संत गुफाओं और कुटिया में तपस्या में लीन रहते हैं। शीतकाल में धाम में रहने के लिए ज्योतिर्मठ तहसील प्रशासन से अनुमति लेनी जरुरी होती है। इस वर्ष अभी तक 20 लोगों की ओर से शीतकाल में धाम में रहने की अनुमति मांगी गई है।
ज्योतिर्मठ के उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि अभी तक 20 लोगों की ओर से शीतकाल में बदरीनाथ धाम में रहने के लिए अनुमति मांगी गई है। इन आवेदनों को पुलिस कार्यालय भेज दिया गया है। कागजों के साथ ही संबंधित व्यक्ति की जांच के बाद उन्हें धाम में रहने की अनुमति प्रदान की जाएगी। बीते वर्ष भी इतने ही लोगों ने धाम में रहने की अनुमति ली थी।







