Uttarakhand News: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का आगाज बसंत पंचमी के दिन राजमहल से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निकलने के बाद शुरू हो जाता है. इस यात्रा का धार्मिक के साथ साथ आर्थिक रूप में सबसे बड़ा महत्व है. इस यात्रा से बड़ा राजस्व राज्य सरकार को मिलता है. इस बार जोशीमठ संकट ने बद्री विशाल के दर्शन पर संकट की स्थिति पैदा कर दी है, क्यूंकि बद्रीनाथ के लिए जाने वाला एकमात्र रास्ता जोशीमठ माना जाता है. श्रद्धेय तीर्थ की यात्रा करने से पहले हजारों तीर्थयात्री यहां रात रुकते हैं, लेकिन अब जोशीमठ में कई स्थानों को “खतरे का क्षेत्र” की श्रेणी में रखे जाने के बाद उत्तराखंड में बेहद लोकप्रिय मंदिर बद्रीनाथ धाम तक के जाने वाले रास्ते को लेकर बहुत संदेह है। वहीं इस बार जोशीमठ में प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ से आने-जाने के लिए गाड़ियों के लिए वन वे लेन का रूल फॉलो कर रहे हैं. यहां तक कि सड़क की पुलिया भी उखड़ रही है. हालांकि राज्य सरकार ने हाल ही में कहा था कि बद्रीनाथ यात्रा प्रभावित नहीं होगी और यह योजना के अनुसार होगी. वहीं सभी मौसम के तहत चार धाम सड़क परियोजना के तहत बद्रीनाथ के लिए बाईपास तैयार किया जा रहा है, जो जोशीमठ से लगभग 9 किमी पहले हेलंग से शुरू होता है और मारवाड़ी रोड पर समाप्त होता है, लेकिन यह परियोजना अभी आधी ही पूरी हुई है और स्थानीय लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया है.
कब होगी यात्रा शुरू
राज्य सरकार और अधिकारियों के पास पहाड़ी इलाकों में चीजों को व्यवस्थित करने या एक सही विकल्प खोजने के लिए तीन महीने से थोड़ा अधिक का समय है. आपको बता दें कि 2 जनवरी को भू-धसांव का मामला सामने आने के बाद से जोशीमठ में कम से कम 849 घरों, होटलों, सड़कों आदि में दरारें पाई गई हैं. चार धाम यात्रा का आगाज बसंत पंचमी के दिन राजमहल से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निकलने के बाद शुरू हो जाता है. ऐसे में सरकार के पास काफी कम समय रह गया है, जिससे कि इस बार के बद्रीनाथ धाम के दर्शन श्रद्धालु सुगमता के साथ कर सकें।