Uttarakhand News 10 November 2025: हल्द्वानी कुमाऊं का सबसे बड़ा महानगर है। अधिकारियों से लेकर मंत्री, सांसद और विधायकों के आवास भी यहां हैं। कुमाऊं आयुक्त, आईजी पुलिस और जिलाधिकारी के कैंप कार्यालय भी यहीं हैं। अधिकतर समय यह जिम्मेदार अधिकारी भी यहीं बैठते हैं। समय-समय पर मुख्यमंत्री व मंत्रियों के काफिले इस महानगर की सड़कों से गुजरते हैं। विडंबना है कि शहर में यातायात व्यवस्था बनाने के लिए लगाए ट्रैफिक सिग्नल शोपीस बने हुए हैं। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था आज भी यातायात पुलिस तो कहीं होमगार्ड जवानों के भरोसे संचालित हो रही है। कई बार लोगों ने भी प्रशासन के सामने इस समस्या को उठाया लेकिन इसके समाधान के लिए आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया। आम जनता के पैसे की बर्बादी कर शो-पीस बनीं ट्रैफिक लाइटों पर पेश है पड़ताल
वर्ष 2020-21 में 90 लाख रुपये खर्च कर शहर के 13 चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें लगाई गई थीं। इनमें आईटीआई तिराहा, टीपीनगर पर अर्बन अल्मोड़ा बैंक के समीप, सेंट्रल हॉस्पिटल के पास, कुसुमखेड़ा, पीलीकोठी, लालडांठ, नरीमन चौराहा व डिग्री कॉलेज के समीप आदि चौराहे थे। तब इसके संचालन का जिम्मा एक निजी एजेंसी को सौंपा गया। अफसरों ने इस कार्य में लगभग एक करोड़ रुपये फूंक डाले लेकिन सभी जगहों पर ट्रैफिक लाइटें शो-पीस बनी हुई हैं। पिछले साल सड़क चौड़ीकरण के दौरान कुछ चौराहों की लाइटें हटा दी गईं थी जो दोबारा नहीं लगाई गई हैं।
खराब लाइट का लोगों ने किया था विरोध
मुखानी चौराहे पर वर्ष 2014-15 में ट्रायल योजना के तहत ट्रैफिक लाइट लगाई गई थीं। एक दो दिन काम करने के बाद यह लाइट गलत सिग्नल देने लगी। इससे सड़क पर जाम की स्थिति बनने लगी और लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोगों ने खराब लाइटों का विरोध किया जिसके बाद महकमे ने लाइट बंद कर दी। तब से आज तक यहां लगे ट्रैफिक सिग्नल चालू नहीं हुए हैं। ऐसे में हर चौराहे पर कहीं यातायात पुलिस के जवान तो कहीं होमगार्ड हाथ के इशारों से यातायात व्यवस्था बनाने में जुटे रहते हैं। कुछ चौराहों पर तो यातायात पुलिस के जवान भी नजर नहीं आते हैं। इससे आए दिन लोगों को चौराहों पर जाम से जूझना पड़ता है।
भ्रम पैदा करती हैं ट्रैफिक लाइटें
ट्रैफिक लाइट के ऑन-ऑफ होने का सीधा असर यातायात संचालन से है। यहां किस चौराहे पर कब कौन सी लाइट ऑन हो जाए और कौन सी ऑफ, इसका अंदाजा तक लगाना मुश्किल होता है। इनमें दिन भर लाल, हरी व पीली बत्तियां जलती बंद होती रहती हैं। इससे देश के विभिन्न महानगरों से आने वाले सैलानियों में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। बाहर से आने वाले सैलानी लाल बत्ती देखकर वाहन रोक देते हैं जबकि उनके बराबर से दूसरा वाहन सड़क क्रॉस कर रहा होता है।
सिग्नल लगाने में दूरी का नहीं रखा ध्यान
शहर के चौराहों पर जब ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए तो दूरी का भी ध्यान नहीं रखा गया। कई सड़कों पर कम दूरी पर ट्रैफिक लाइटें लगा दी गईं थी जिससे मौके पर हर समय जाम लगने लगा था। लोगों के विरोध के बाद ऐसी ट्रैफिक लाइटों को भी हटा दिया गया था।
यह हैं सामान्य ट्रैफिक लाइट सिग्नल
लाल बत्ती: सभी वाहनों को पूरी तरह से रुकना होता है।
हरी बत्ती: वाहन चालकों को सुरक्षित रूप से आगे बढ़ने की अनुमति होती है।
पीली बत्ती: यह एक चेतावनी है कि हरी बत्ती खत्म होने वाली है और लाल बत्ती जलने वाली है। चालकों को धीरे होने और रुकने के लिए तैयार रहने का निर्देश देती है, बशर्ते वे सुरक्षित रूप से रुक सकें।
क्या कहते हैं लोग
पिछले वर्षों में ट्रैफिक लाइट के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए गए। कई साल बाद भी इन लाइटों का उपयोग नहीं हो सका है। ऐसे क्या कारण रहे कि लाखों रुपये खर्चने के बाद भी यह लाइटें काम नहीं आई। यह सरकारी धनराशि का दुरुपयोग है।
-गोपाल भट्ट, निवासी बिठौरिया हल्द्वानी
हल्द्वानी महानगर के रूप में विकसित हो चुका है। यातायात व्यवस्था को कोई सुधलेवा नहीं है। ट्रैफिक लाइटें अनिवार्य रूप से सड़कों पर होनी चाहिए ताकि यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके। -गौरव जोशी, निवासी रामपुर रोड देवलचौड़
अफसरों की बात
विभाग ने कुछ साल पहले हल्द्वानी के चौराहों में ट्रैफिक लाइटें लगाई थी। लोनिवि केवल कार्यदायी संस्था थी। सभी लाइटों को ट्रैफिक पुलिस को हैंड ओवर कर दिया गया था। उसके संचालन का जिम्मा यातायात पुलिस का है। यदि पुलिस-प्रशासन लाइटें ठीक कराने की मांग करेगा तो इस संबंध में जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
- निशांत नेगी अधीक्षण अभियंता लोनिवि इलेक्ट्रिक एवं मैकेनिकल खंड
शहर के भीतर चौराहों पर नई ट्रैफिक लाइटें लगाई जानी हैं। कार्यदायी संस्था इसके लिए सर्वे कर चुकी है। कुछ चौराहों का चौड़ीकरण भी हुआ है। इसमें उन्हें भी शामिल किया गया है। इन सभी लाइटों पर नियंत्रण के लिए तहसील में कंट्रोल रूम बनाने की भी योजना है। यहीं से इसका संचालन होगा।
- जगदीश चंद्र, एसपी ट्रैफिक
पूर्व में लगाई गई ट्रैफिक लाइटों को बदला जाना है। सडकों और चौराहों के चौड़ीकरण कार्य के चलते यह काम नहीं हो सका है। जैसे ही यह काम पूरा हो जाएगा शहर में नई ट्रैफिक लाइटें लगवाई जाएंगी। इनके लगने से यातायात व्यवस्था में सुधार होगा और आम जनता को इसका लाभ मिलेगा।
ललित मोहन रयाल, डीएम नैनीताल







