Uttarakhand News 26 August 2025: खुद को गोली मारने वाले काश्तकार कुंदन सिंह बोरा रविवार सुबह उठने के बाद धान के खेत में पानी लगाने गए थे। दोपहर में जब वह खेत से लौटे तो पत्नी हीरा देवी ने खाना तैयार कर लिया था। वह खाना लगाने के लिए कहकर अपने कमरे में चले गए। पत्नी रसोई में जाकर थाली में दाल-भात परोसने लगी। तभी गोली चलने की तेज आवाज आई। हीरा देवी ने कमरे में जाकर देखा तो पति खून से लथपथ पड़े थे।

कुंदन सिंह के तीन बेटे हैं। छोटा बेटा लक्ष्मण उद्यान विभाग में बड़े पद पर तैनात है। बड़ा बेटा जगदीश काश्तकारी के साथ ही खनन का कारोबार करता है। मझला बेटा तारा की वर्षों पहले हादसे के बाद मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। उनके भांजे शंकर सिंह नेगी ने बताया कि 64 वर्ष की उम्र में भी कुंदन पूरी तरह से फिट थे। वह पांच एकड़ की खेतीबाड़ी अकेले संभालते थे। रविवार को जगदीश रानीखेत में अपने दोस्त के घर गए थे। लक्ष्मण और तारा घर में किसी दूसरे कामों में व्यस्त थे।

मातम के बीच उठ रहे सवाल
हरिपुर लालमणि नवाड़ में रहने वाले काश्तकार कुंदन सिंह बोरा के आत्मघाती कदम से हर कोई हैरान है। खुशमिजाज स्वभाव के कुंदन की मौत की खबर जैसे ही क्षेत्र में फैली, हर तरफ मातम पसर गया। लोग घर पहुंचकर परिजनों को ढाढ़स बंधा रहे थे। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग अलग-अलग तरह की चर्चाएं भी कर रहे थे। कुछ लोग सवाल कर रहे थे कि खाना लगाने के लिए कहने के बाद कोई ऐसा कदम क्यों उठाएगा। कुछ लोग कुंदन के नशे में होने की बात भी कर रहे हैं।

घर पर हर तरफ बिखरे थे मांस के लोथड़े
पुलिस और फोरेंसिक जांच में सामने आया कि कुंदन ने तख्त पर बंदूक रखकर दाईं तरफ से सीधे कनपटी पर गोली मारी। गोली मुंह के चीथड़े उड़ाते हुए सीधे सीलिंग में जाकर धंस गई। मस्तिष्क का बड़ा हिस्सा गोली के साथ पांच फुट ऊंची स्लैब पर अटक गया। कमरे की छत पर भी मांस के टुकड़े चिपके मिले। पुलिस ने झाड़ू की मदद से छत और दीवारों पर चिपके मांस के चीथड़े एकत्र किए। घटना के बाद पूरा कमरा खून से सन चुका था।

कमरे से मिली 12 बोर की सिंगल बैरल बंदूक
पुलिस ने कमरे से 12 बोर की सिंगल बैरल देसी बंदूक बरामद की है। पुलिस के अनुसार जिस असलहे से गोली चली है, वह अवैध है। असलहे को सील कर जांच के लिए एफएसएल भेजा जाएगा।

कुंदन के पिता ने बसाया था गांव
हरिपुर लालमणि नवाड़ में रहने वाले शंकर सिंह नेगी ने बताया कि मृतक कुंदन सिंह बोरा उनके मामा थे। कुंदन सिंह के पिता मोहन सिंह बोरा वर्ष 1962 में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से हल्द्वानी आए और लालमणि नवाड़ गांव में आकर बस गए। तब इस गांव में एक दो परिवार हुआ करते थे। मोहन सिंह ने इस गांव को बसाया। गंगोलीहाट से कई परिवार यहां आकर बस गए।