Uttarakhand News 27 feb 2024: एक महिला के लिए मातृत्व महान आशीर्वाद में से एक है। इस कारण उसे सार्वजनिक रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी जिन्हें गर्भावस्था के चलते सरकारी विभाग नौकरी ज्वाइन कराने से बचते रहे हैं।

एक महिला के लिए मातृत्व महान आशीर्वाद में से एक है। इस कारण उसे सार्वजनिक रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी जिन्हें गर्भावस्था के चलते सरकारी विभाग नौकरी ज्वाइन कराने से बचते रहे हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश का लाभ उन गर्भवती महिलाओं को भी मिलेगा जो कई कारणों के चलते ऐसे मामलों में कोर्ट तक पहुंच नहीं पाती हैं।

पिछले दिनों मिशा उपाध्याय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि बीडी पांडे अस्पताल प्रबंधन उसे 13 हफ्ते की गर्भवती होने के कारण नर्सिंग अधिकारी के रूप में शामिल करने से मना कर दिया जबकि 23 जनवरी को डीजी हेल्थ की ओर से उसे नर्सिंग अधिकारी के पद के लिए नियुक्ति पत्र सौंपा था। कोर्ट ने इस प्रकरण में बीडी पांडे अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक गर्भवती को ज्वाइनिंग देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि गर्भवती होना किसी भी रोजगार के लिए अयोग्यता नहीं है। एक महिला मातृत्व अवकाश की हकदार है।

बताया जाता है कि सरकारी विभाग गर्भवती महिलाओं को इसलिए नई नौकरी में ज्वाइनिंग नहीं कराते हैं क्योंकि कई बार कार्यभार ग्रहण करने के कुछ दिन बाद गर्भवती महिलाएं मातृत्व अवकाश पर चली जाती हैं। इससे विभागीय कार्य प्रभावित होते हैं। इस मामले में वादी के अधिवक्ता पारितोष डालाकोटी का कहना है कि हाईकोर्ट में यह अपनी तरह का पहला ऐसा मामला था जिसमें कोर्ट ने गर्भवती को बड़ी राहत दी। कोर्ट के आदेश के बाद वादी ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है।

अधिवक्ता डालाकोटी का कहना है कि इससे पहले भी ऐसा हुआ है जब सरकारी विभागों ने गर्भवती महिलाओं को कार्यभार ग्रहण नहीं करने दिया या फिर कई गर्भवती महिलाएं भर्ती प्रक्रिया में ही शामिल नहीं हो सकी। इस कारण उन्हें रोजगार से वंचित रहना पड़ा लेकिन वे कोर्ट नहीं पहुंची। ऐसे में कोर्ट का यह आदेश गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है।