Uttarakhand News 03 Jan 2025: बीडी पांडे अस्पताल में बृहस्पतिवार दोपहर एक घायल तीन घंटे 108 एंबुलेंस के इंतजार में स्ट्रेचर पर ही तड़पता रहा। इसके बाद भी एक-डेढ़ घंटा और इंतजार की बात कही गई तो परिजन 18 सौ रुपये खर्च कर घायल मोहित को अस्पताल की एंबुलेंस से लेकर हल्द्वानी गए। तीन घंटे कई बार पूछने के बावजूद परिजनों को यह नहीं बताया गया कि इतना समय लग जाएगा। वरना वे पहले ही ले जाते।

घायल हुए मोहित साह (50) मल्लीताल के रहने वाले हैं। वह अपने भाइयों के साथ रेस्टोरेंट का काम देखते हैं। बृहस्पतिवार सुबह मोहित अपने मकान की छत से नीचे दूसरी छत पर गिर गए। आवाज सुनकर पहुंचे परिजनों को वह घायल हालत में मिले। आनन फानन उन्हें बीडी पांडे अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें उपचार दिया, मगर साथ में हालत काफी खराब बताई। डॉ. प्रशांत ओली के मुताबिक मोेहित के सिर व पसली में चोट होने के चलते उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर किया जाना जरूरी था। यह बात बताए जाने पर परिजनों ने निशुल्क सेवा वाली 108 एंबुलेंस बुलाने के लिए इलाज के दौरान ही लगभग 12 बजे फोन कर दिया।

अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद परिजन मोहित को स्ट्रेचर पर लेकर वे बाहर हॉल में आ गए। ताकि एंबुलेंस आने पर बाहर आने में ज्यादा देर न लगे। तीन घंटे इंतजार के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो दोबारा कॉल की। तब फिर बताया गया कि एक घंटे और लग जाएगा। कारण बताया गया कि आसपास की एंबुलेंस मरीजों को लेकर हल्द्वानी गई हुई हैं, इसलिए आने में देरी हो रही है।

स्थिति देखकर पीएमएस डॉ. टीके टम्टा ने परिजनों को अस्पताल की एंबुलेंस से मरीज ले जाने की राय दी। तब परिजन तीन बजे 18 सौ रुपये का भुगतान कर अस्पताल की एंबुलेंस से मोहित को लेकर गए। वहां डॉ. सुशील तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों ने 108 एंबुलेंस समय पर न मिलने पर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए।

नियम तो 20 मिनट में एंबुलेंस पहुंचने का है
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दो सप्ताह पहले ही निर्देश दिए थे कि मैदानी इलाके में कॉल करने के 16 मिनट बाद और पर्वतीय क्षेत्र में 20 मिनट बाद हरहाल में 108 एंबुलेंस पहुंच जाना चाहिए। हालांकि व्यवहारिकता में अधिकतम आधा घंटा लग जाता है। वहीं ज्यादा समय लगने पर या एंबुलेंस उपलब्ध न होने पर देरी का अंदाजा नहीं दिया जाता है। बृहस्पतिवार के मामले में भी यह गड़बड़ी हुई। एंबुलेंस सेवा केंद्र से यह नहीं बताया गया कि एंबुलेंस हल्द्वानी गई हुई हैं। यह भी जानकारी नहीं दी कि पहुंचने में कितनी देर लग जाएगी। यदि मोहित के परिजनों को अंदाज होता कि तीन घंटे लग जाएंगे तो वे पहले ही 18 सौ रुपये खर्च करने का मन पक्का कर लेते। मोहित को तीन घंटे स्ट्रेचर पर तड़पना भी नहीं पड़ता। नैनीताल, भवाली व भीमताल की 108 एंबुलेंस हल्द्वानी गई हुई थीं। इस अन्य सेंटरों से एंबुलेंस भेजी जा रही थी। इस कारण देर होना तय था। -चन्द्र प्रकाश, डीपीओ, 108 एंबुलेंस सेवा

जिले में वर्तमान में हैं 23 एंबूलेंस 108
108 के जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) चंद्र प्रकाश ने बताया कि नैनीताल जिले में वर्तमान में 23 एंबुलेंस संचालित की जा रही हैं। जो नैनीताल, भवाली, रामगढ़, मुक्तेश्वर, पदमपुरी, पहाड़पानी, ओखलकांडा, पतलोट, खैरना, सुयालबाड़ी, बेतालघाट, भीमताल, काठगोदाम, हल्द्वानी कोतवाली, हल्द्वानी ब्लाॅक थाना, मोटाहल्दु, लालकुंआ, चोरगलिया, कालाढूंगी, कोटाबाग, रामनगर, पाठकोट व मालधनचौड़ में तैनात रहती हैं। बताया कि कॉल आने पर नजदीकी एंबुलेंस को भेजा जाता है। यदि आसपास के सेंटर पर एंबुलेंस नहीं होती है तो दूसरे केंद्र से भेजी जाती है। बोले- पहाड़ में संकरी सड़क, जाम व खराब सड़कों के चलते कई बार देर लग जाती है।