Uttarakhand News 10 November 2025: किच्छा में अन्नदाता अपनी फसल की बिक्री के लिए परेशान है। लिमिट पूरी होने से क्रय केंद्रों में धान पड़ा है लेकिन लिमिट नहीं बढ़ाई जा रही है। 18 दिनों से धान नहीं बिका तो सोमवार को दरऊ के किसान से आक्रोशित होकर क्रय केंद्र पर रखी फसल पर आग लगा दी। आग लगाने पर किसानों में हड़कंप मच गया। आसपास खड़े किसानों ने किसी तरह आग बुझाई। इसके बाद आक्रोशित किसानों ने एसडीएम कार्यालय में जाकर प्रदर्शन किया और धान खरीद शुरू करने की मांग की।

ग्राम दरऊ निवासी चंद्रपाल की बेटी का 15 दिन बाद विवाह है। बहेड़ी से बारात आनी है। चंद्रपाल को बेटी के विवाह के इंतजाम में जुटना है वहीं वह एक महीने से धान बेचने के लिए दरऊ में लगे कांटें पर बैठा है। चंद्रपाल ने बताया कि घर जाओ तो परिजन शादी की तारीख नजदीक आने की बात कहते हैं कहीं से पैसा नहीं मिलने व धान नहीं बिकने से गुस्साए चंद्रपाल सुबह लगभग 11 बजे खरीद केंद्र पहुंकर परारी एकत्र की और धान में आग लगा दी। चंद्रपाल को आग लगाते देख साथ में खड़े किसान सन्न हो गए। आसपास खड़े किसानों ने आग बुझाई।

घटना से गुस्साए दर्जनों किसान बाद में एसडीएम कार्यालय पहुंचकर एसडीएम गौरव पांडे को अपना दुखड़ा सुनाया। किसानों का कहना था कि क्रय केंद्र पर लगभग एक माह से धान लाए हैं। उनका धान खरीदा नहीं जा रहा है। फरहाद खान ने बताया कि गांव में एक महीने पहले कांटा लगा था। कांटे पर केवल नौ दिन तक ही तौल हुई। केंद्र प्रभारी ने लिमिट पूरी होने की बात कहकर अपना पल्ला छुड़ा लिया है। प्रभारी का कहना था कि अगर सरकार ने लिमिट खोली तो ही वह तौल कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि केंद्र पर 4500 कुंतल धान तुला है। बताया कि इनके अलावा गांव के अमजद खान, जुबैर खान, आदिल खान, अफसर अली खान समेत किसानों का हजारों कुंतल धान तुलने को पड़ा है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।
कारगिल की लड़ाई लड़ने वाले गुरनाम अब धान बेचने की जंग लड़ रहे
किच्छा के ग्राम पटेरी में रहने वाले गुरनाम सिंह ने देश की आन-बान व शान के लिए कारगिल युद्ध लड़ा। अब वह धान बेचने की जंग लड़ रहे हैं। 20 दिन से गुरनाम रोज दोपहर का खाना लेकर घर से आते हैं। शाम तक खरीद होने की उम्मीद से नवीन मंडी में धान खरीद केंद्र पर बैठते हैं। शाम को मायूस होकर वापस घर लौट जाते हैं।

गुरनाम सिंह ने बताया कि भारतीय सेवा में रहे और उन्होंने कारगिल की लड़ाई लड़ी। उस दौरान राजौरी में तैनात थे। इसके अलावा सियाचीन गलेशियर, जम्मू, ऊधमपुर आदि स्थानों पर रह चुके हैं। कई बार दुश्मनों को धूल चटाई। गुरनाम के दोनों बेटे घर से दूर हैं। इसलिए खेती बाड़ी वह संभालते हैं। पिछले 20 दिनों से मंडी में मात्र 70 कुंतल धान तुलवाने की आस में बैठे हैं। सेना में रह चुके गुरनाम प्रदेश सरकार की धान खरीद नीति से बेहद आहत हैं। कहते हैं कि क्रय केंद्र में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। पहले आश्वासन मिला कि चिंता न करें आपका धान जल्द तुल जाएगा। अब बोलते हैं कि लिमिट खत्म हो गई। जैसे ही लिमिट बढ़ेगी तुम्हारा धान सबसे पहले तुलेगा। 20 दिन से उनका कई काम प्रभावित हुआ है। गेहूं बुवाई के लिए खेत तैयार नहीं हो पा रहा है।

पांच सौ क्विंटल धान पड़ा है किच्छा में
किसान धान लेकर मंडी में आए हैं। 18 दिन से खरीद नहीं हो पा रही है। सिस्टम में बैठे अधिकारी लिमिट पूरी होने की बात कह रहे हैं। किसान रोज सुबह क्रय केंद्र आता है और शाम को धान नहीं बिकने पर वापस चला जाता है। किसानों के अनुसार किच्छा मंडी में पांच सौ क्विंटल धान पड़ा है।

900 क्विंटल धान केंद्र से उठाकर व्यापारी को 1910 रुपये क्विंटल बेचा
पंतनगर में लीज होल्डर दिनेश मंडल का धान बेनी क्रय केंद्र पर लगभग 10 दिन तक पड़ा रहा। केंद्र प्रभारी के लिमिट नहीं होने के कारण धान तौलने से मना करने के बाद उन्होंने अपना लगभग 900 क्विंटल धान केंद्र से उठाकर व्यापारी को 1910 प्रति क्विंटल की दर से बेच दिया है। जबकि लीज होल्डर अनिल कुमार ने लिमिट आने के इंतजार में अभी तक अपना धान ही नहीं काटा है।

दरऊ के किसान समस्या लेकर आए थे। इसकी जानकारी आरएफसी को दे दी है। जैसे ही केंद्र की लिमिट बढ़ेगी धान तोल शुरू हो जाएगी।