Uttarakhand News, 24 November 2022: उत्तराखंड के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में तैनात सीनियर रेजिडेंट ऑर्थोपैडिक डॉक्टर शशांक सिंह ने मानवता की मिसाल कायम की है। उन्होंने पहले मरीज को एक यूनिट खून दिया। इसके बाद जांघ की कई जगह से टूटी हड्डी का ऑपरेशन किया।

सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों के व्यवहार और इलाज को लेकर मरीज के तीमारदार आमतौर पर शिकायतें करते हैं। लेकिन, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपैडिक डॉक्टर शशांक सिंह ने ऑपरेशन से पहले मरीज को खून देकर यह साबित किया कि मरीज के प्रति डॉक्टर कितने गंभीर होते हैं। सात नवंबर को देहरादून निवासी 60 वर्षीय अवधेश गहरे गड्ढे में गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनकी छाती, हाथ और जांघ की हड्डी टूट गई है। इलाज के लिए उन्हें दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। छाती, बाएं हाथ और जांघ की हड्डी में फ्रैक्चर होने से मरीज को तीन दिन आईसीयू में रखने के बाद हालत ठीक हो पाई| इसके बाद डॉक्टरों ने उनकी जांघ की हड्डी का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। 23 नवंबर को ऑपरेशन होना था। लेकिन, खून की कमी होने से ऑपरेशन नहीं हो पा रहा था। उन्हें दो यूनिट खून की जरूरत थी। मरीज की इकलौती बेटी है। वह खून देने के लिए तैयार थी लेकिन स्किन इन्फेक्शन से खून नहीं दे पाई। साथ ही मरीज के जानने वाले लोगों ने भी खून देने से मना कर दिया। इलाज करने वाले डॉक्टर शशांक सिंह को जब पता चला कि खून का इंतजाम नहीं हो रहा है तो खुद ही खून दिया| इसके बाद मरीज की जांघ की हड्डी का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन में विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनिल जोशी ने साथ दिया। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने डॉ. शशांक सिंह और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि मरीज के प्रति इस तरह की भावना प्रत्येक डॉक्टर व कर्मचारियों में होनी चाहिए|

मरीज के स्वजन की परेशानी समझी:
ऐसा ही कुछ किया दून मेडिकल कालेज अस्पताल के सीनियर रेजीडेंट डा. शशांक सिंह ने। उन्होंने रक्त के लिए परेशान घूम रहे मरीज के स्वजन की परेशानी को अपना बना लिया।

खुद ही मरीज के लिए किया रक्तदान:
पहले उन्होंने खुद ही मरीज के लिए रक्तदान किया। इसके बाद उनकी जांघ का आपरेशन भी किया। उनके इस समर्पण की हर कोई सराहना कर रहा है। खुद मेडिकल कालेज के प्राचार्य इसकी मिसाल अन्य चिकित्सकों को दे रहे हैं।

मरीज गड्ढे में गिरकर हुआ था घायल:
सात नवंबर को गड्ढे में गिरकर गंभीर रूप से घायल मरीज देहरादून के ही रहने वाले अवधेश को मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी छाती में गंभीर चोट थी। साथ ही बायें हाथ और जांघ की हड्डी दो जगह से टूटी हुई थी।

नहीं हो पा रहा था आपरेशन:
मरीज को तीन दिन तक आइसीयू में रखा गया। जिसके बाद उनकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ। इसके बाद चिकित्सकों ने उनकी जांघ की हड्डी का आपरेशन करने का निर्णय लिया, लेकिन मरीज के शरीर में खून की कमी होने के कारण आपरेशन नहीं हो पा रहा था।

मरीज को नहीं मिल पा रहा था खून:
मरीज की बेटी ने खून देने की कोशिश की, पर कुछ समस्या होने के कारण वह खून नहीं दे पाई। अन्य जानने वालों से भी खून नहीं मिल सका। यह बात जब मरीज का उपचार कर रहे डा. शशांक सिंह को पता चली तो उन्होंने खुद मरीज को खून देने का फैसला किया|

चिकित्सकों ने की सराहना:
उन्होंने बुधवार को मरीज को अपना खून दिया और उसके तुरंत बाद जांघ का आपरेशन किया। आपरेशन सफल रहा। आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अनिल जोशी भी इस दौरान उनके साथ रहे। प्राचार्य ने कहा कि डा. शशांक की तरह ऐसी भावना प्रत्येक चिकित्सक व कर्मचारियों में होनी चाहिए। यह अपने आप में मिसाल है।