Uttarakhand News 1 september 2025: राष्ट्रीय महिला आयोग की नारी 2025 महिला सुरक्षा रिपोर्ट में देहरादून के लिए चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार देहरादून का महिला सुरक्षा सूचकांक केवल 60.6 फीसदी रहा जो राष्ट्रीय औसत 64.6 फीसदी से भी कम है।

वहीं, कोहिमा जैसे शहर जहां सुरक्षा सूचकांक 82.9 फीसदी है, वहां की तुलना में देहरादून काफी पीछे नजर आया। महिलाओं से विभिन्न मामलों में पूछे गए सवालों के आधार पर यह सर्वे हुआ। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि दून की केवल 50 फीसदी महिलाएं शहर को बहुत सुरक्षित या सुरक्षित मानती हैं जबकि अन्य शहरों में यह औसत 60 फीसदी है। वहीं 41 फीसदी महिलाओं ने शहर को सुरक्षित बताया न असरक्षित।

सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न की घटनाएं भी दर्ज हुईं
इसके अलग करीब 10 फीसदी महिलाएं खुद को असुरक्षित या बहुत असुरक्षित महसूस करती हैं। दिन के समय 70 फीसदी महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं लेकिन रात होते ही यह संख्या घटकर 44 फीसदी रह जाती है। सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न की घटनाएं भी दर्ज हुईं। देहरादून में छह फीसदी महिलाएं उत्पीड़न का शिकार हुई जिनमें से कई बार-बार ऐसी घटनाओं से गुजरीं।

सबसे अधिक मामले मौखिक उत्पीड़न (अपशब्द कहना) के रहे। महिला-अनुकूल ढांचे और परिवहन व्यवस्था पर भी स्थिति संतोषजनक नहीं पाई गई। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि कड़े कानून, बेहतर रोशनी, सुरक्षित परिवहन और महिला-अनुकूल ढांचे को प्राथमिकता देकर ही दून को महिलाओं के लिए सरक्षित बनाया जा सकता है।
महिला सुरक्षा के लिए भाजपा सरकार के दावे खोखले : माहरा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट से महिला सुरक्षा के लिए भाजपा सरकार के दावे खोखले साबित हुए हैं। रिपोर्ट में देहरादून को देश के सबसे असुरक्षित शहरों में गिना गया है। यह केवल आंकड़ा नहीं है, हमारी बेटियों की टूटी हुई उम्मीदें, उनका डर है।

माहरा ने कहा, प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। छेड़छाड़, उत्पीड़न, दुष्कर्म और घरेलू हिंसा की घटनाओं को रोकने में सरकार विफल साबित हो रही है। भाजपा नैतिकता की बात करती है, लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों का दामन दागदार है। सल्ट, लालकुआं, चंपावत और संतरेसा में दुष्कर्म की घटनाओं में भाजपा नेताओं पर आरोप लगे हैं। हरिद्वार में भाजपा की ही महिला पदाधिकारी अपनी बेटी का
अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज तक वीआईपी का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट ने भाजपा सरकार के झूठे दावों का पर्दाफाश किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है, लेकिन पीड़िता को न्याय नहीं मिल रहा है।