Uttarakhand News 25 september 2025: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि विवाह संबंधी विवादों का त्वरित समाधान किया जाए। हाईकोर्ट ने देहरादून के पारिवारिक न्यायालय को लंबित तलाक वाद का शीघ्र निस्तारण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड केस फ्लो मैनेजमेंट नियमावली और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 21बी दोनों ही यह सुनिश्चित करते हैं कि विवाह संबंधी विवादों का त्वरित समाधान हो ताकि पक्षकारों को अनावश्यक मानसिक और सामाजिक पीड़ा न झेलनी पड़े।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुइ। निम्मी रावत ने पति भरत ग्रोवर के खिलाफ 6 नवंबर 2023 को क्रूरता के आधार पर तलाक का वाद दाखिल किया था। प्रतिवादी ने जनवरी 2024 में पेशी दी। जुलाई 2024 में लिखित बयान दाखिल किया लेकिन इसके बाद अतिरिक्त लिखित बयान दाखिल करने की मांग ने कार्यवाही को लंबा खींच दिया। इस देरी से आहत याची ने हाईकोर्ट में अपील की।
कोर्ट ने कहा कि तलाक जैसे पारिवारिक मामले ट्रैक 1 श्रेणी में आते हैं जिन्हें अधिकतम एक वर्ष के भीतर निपटाना अनिवार्य है। इसलिए देहरादून पारिवारिक न्यायालय को आदेश दिया गया है कि वाद का निर्णय शीघ्र करे। किसी भी पक्ष को अनुचित स्थगन न दिया जाए। इस आदेश से अधीनस्थ न्यायालयों को स्पष्ट संदेश यह है कि विवाह संबंधी विवादों को समयबद्ध ढंग से निपटाना अनिवार्य है।
ये हैं नियमावली के प्रावधान
उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड केस फ्लो मैनेजमेंटनियमावली अधीनस्थ अदालतों के लिए बनाई है। इसके अनुसार…..
ट्रैक-1 में विवाह, भरण-पोषण, बाल अभिरक्षा जैसे मामले रखे गए हैं। इन्हें एक वर्ष में निपटाने का प्रावधान है
ट्रैक-2 में भूमि या संपत्ति विवाद जैसे दीवानी मामले हैं जिनका दो वर्ष में निस्तारण किया जाना होता है
ट्रैक-3 में जटिल वाद रखे गए हैं जिन्हें तीन वर्ष के भीतर निपटाना अनिवार्य है