Uttarakhand News 30 July 2025: नैनीताल। अपर जिलाधिकारी(एडीएम) नैनीताल के अंग्रेजी नहीं बोल सकने की स्वीकारोक्ति संबंधी मामले में हाई कोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने मतदाता सूची से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव व राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था कि अंग्रेजी नहीं बोल सकने वाले वाले अधिकारी को क्या निर्वाचन ड्यूटी का प्रभावी नियंत्रण सौंपा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने रोक के साथ ही हाई कोर्ट में जनहित याचिकाकर्ता आकाश बोरा सहित 53 अन्य लोगों को नोटिस जारी किया है। 53 लोग वे हैं, जिनको बाहरी राज्यों का निवासी होते हुए यहां की मतदाता सूची में शामिल बताया गया था। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

दरअसल, 18 जुलाई को पंचायत चुनाव में नैनीताल के समीपवर्ती बुधलाकोट ग्राम पंचायत में उड़ीसा सहित अन्य राज्यों के लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल किए जाने के विरुद्ध दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से एडीएम (प्रशासन) विवेक राय तथा कैंची धाम की एसडीएम मोनिका व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे।

इस दौरान कोर्ट ने एडीएम से जानकारी ली थी तो उन्होंने हिंदी में जवाब दिया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एडीएम के अंग्रेजी नहीं बोल सकने पर हैरानी जताई थी।

राज्य निर्वाचन आयोग व मुख्य सचिव को यह जांच करने के निर्देश दिए थे कि क्या एडीएम स्तर के अधिकारी को, जिन्होंने कोर्ट में स्वीकार किया है कि वह अंग्रेजी नहीं बोल सकते, किसी कार्यकारी पद पर प्रभावी नियंत्रण सौंपा जा सकता है।

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से इस निर्णय को विशेष अनुमति याचिका दायर कर चुनौती दी गई। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन व न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की संयुक्त पीठ ने हाई कोर्ट के 18 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी है।

राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षियों को नोटिस जारी किया है। यहां उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट के इस आदेश की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीसी पंत ने दैनिक जागरण से बातचीत में इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सलाह सरकार को दी थी।