Uttarakhand News 29 June 2024: मानसून सीजन में उत्तरकाशी से सुक्की टॉप तक भूस्खलन क्षेत्र नासूर बनकर उभरते हैं।भूस्खलन जोन नेताला सहित लालढांग, हेलगूगाड़ सहित सुक्की के सात नाले वर्ष 2013 की आपदा के बाद से परेशानी का सबब बने हुए हैं।
हर वर्ष मानसून सीजन में गंगोत्री हाईवे पर उत्तरकाशी से सुक्की टॉप तक के भूस्खलन क्षेत्र नासूर बनकर उभरते हैं। लेकिन उसके बावजूद भी आज तक इन भूस्खलन जोन के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गनाईजेशन और जिला प्रशासन की ओर से इनके ट्रीटमेंट के लिए कोई योजना तैयार नहीं की गई है।
इस कारण यह भूस्खलन जोन इस वर्ष भी बरसात में आमजन और चारधाम यात्रियों के लिए मुसीबत बनेंगे। उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से सुक्की टॉप के बीच भूस्खलन ऐसे हैं, जो कि हर वर्ष मानसून सीजन में स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के लिए मुसीबत बनते हैं। इसके साथ ही अन्य भी छोटे-छोटे भूस्खलन जोन ऐसे हैं, जो कि कभी भी मुसीबत बन सकते हैं। इन खतरा संभावित क्षेत्रों में कई ऐसे स्थान हैं, जो कि विगत 10 से 15 वर्षों से हाईवे पर बड़ी मुसीबत बनकर टूटते हैं।
2013 की आपदा के बाद से परेशानी का सबब बने हुए
इन स्थानों पर पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण कई बार हाईवे पर आवाजाही कई दिनों तक बाधित रहती है, जिस कारण आम जनजीवन प्रभावित होता है। इसमें मुख्य सबसे पुराने भूस्खलन जोन नेताला सहित लालढांग, हेलगूगाड़ सहित सुक्की के सात नाले शामिल हैं। जो कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद से परेशानी का सबब बने हुए हैं। इसके साथ ही डबरानी में हाल ही में भूस्खलन जोन सक्रिय हुआ है।
वहीं, बिशनपुर और नलूणा के बीच भी पहाड़ी से लगातार पत्थरों के गिरने का सिलसिला जारी है। इस स्थान पर गत सप्ताह पत्थर की चपेट में आने से एक होमगार्ड गंभीर रूप से घायल हुआ था। उसके बावजूद भी आज तक बीआरओ और जिला प्रशासन इनके ट्रीटमेंट की सुध नहीं ले पाया है। मात्र मानसून सीजन से पहले और बाद में कुछ बैठकों में इन पर चर्चा होती है। लेकिन वह मात्र बैठकों की नोट्स तक ही सीमित रहते हैं।
बीआरओ के कमांडर विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि नेताला सहित हेलगूगाड़ और सुक्की के ट्रीटमेंट के लिए टीएचडीसी डीपीआर तैयार कर रही है। डीपीआर को स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही अन्य स्थानों पर भी भूस्खलन जोन को चिन्हित कर उनका सर्वे करवाया जाएगा।