Uttarakhand News, 19 November 2022: देहरादून: उत्तराखंड में वर्ष 2018 में धर्मांतरण कानून (Anti Conversion Law) अस्तित्व में आया था. लेकिन, उस वक्त इसे लचीला कहा जा रहा था. क्योंकि अब तक यह एक जमानती अपराध था. लेकिन, 16 नवंबर को उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट मीटिंग में इसे यूपी में लागू धर्मांतरण कानून की तर्ज पर और कठोर बनाने की मंजूरी दे दी गई. कानून में संशोधन के बाद जबरन धर्मातंरण करने पर अब दो से सात साल की सजा हो सकती है. पहले एक से पांच साल की सजा का प्रावधान था. उत्तराखंड धर्मांतरण कानून में संशोधन कर सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी अब अधिकतम दस साल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है.
उत्तराखंड में धर्मांतरण के मामले: यह कानून लागू होने के बाद से प्रदेश में अब तक धर्मांतरण के सिर्फ 5 मामले दर्ज हुए हैं और इन मामलों की जांच पुलिस कर रही है. दरअसल उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से गैर-हिंदुओं की मौजूदगी बढ़ रही है. ज्यादातर यह संख्या हरिद्वार उधमसिंह नगर, देहरादून जिलों में है. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि उत्तराखंड में धर्मांतरण को लेकर अब तक सिर्फ 5 मामले पुलिस में दर्ज किए है.
इसमें तीन हरिद्वार से और दो देहरादून से मामले दर्ज किए गए हैं. ये सारे मामले 2018 में बने धर्मांतरण कानून को लेकर दर्ज किए गए हैं. यानी इससे पहले हुए धर्मांतरण का कोई पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं है. लेकिन उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास यह जरूर कहते हैं कि पहाड़ों पर तेजी से धर्मांतरण की शिकायतें हुई हैं. इसके बाद यह कानून और सख्त बनाना जरूरी था.
उत्तराखंड में गैर-हिंदुओं की स्थिति
धर्म | जनसंख्या |
हिंदू | 82.97% |
मुसलमान | 13.95% |
ईसाई | 0.37% |
सिख | 2.34% |
बौद्ध | 0.15% |
जैन | 0.09% |
अन्य धर्म | 0.01% |
सामूहिक धर्म परिवर्तन की स्थिति में इस सजा को बढ़ाकर 10 साल तक किया जा सकता है. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध की श्रेणी में माना गया है.
धर्म परिवर्तन के मामले में 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार तक का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में यह आर्थिक दंड 50 हजार तक लगाया जा सकता है.
धर्म परिवर्तन करने की स्थिति में पहले 7 दिन पूर्व जिला मजिस्ट्रेट की उद्घोषणा अनिवार्य थी तो वहीं अब इसे कम से कम 1 माह पूर्व कर दिया गया है.