उत्तराखंड/चम्पावत: उत्तराखंड में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की कीमत प्रसूताओं और नवजातों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है।

इस बार मामला चंपावत का है। यहां अस्पताल की एंबुलेंस खराब होने की वजह से चार दिन के नवजात को समय पर इलाज नहीं मिल पाया। नतीजन, नवजात की मौत हो गई। नवजात की मौत के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है। ग्रामीणों में भी गुस्सा है। उन्होंने नवजात की मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग के लचर इंतजामों को दोषी मानते हुए जांच की मांग की है। घटना चंपावत के रीठा साहिब की है। यहां चौड़ा मेहता निवासी चंद्रकला मेहता ने 4 दिन पूर्व बच्चे को जन्म दिया। रविवार दोपहर में नवजात की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बच्चे के पिता प्रदीप मेहता के मुताबिक, नवजात का शरीर पीला पड़ गया था। उसे तुरंत रीठा साहिब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जहां प्रभारी चिकित्साधिकारी आकाश रावत ने प्राथमिक इलाज करने के बाद नवजात को हायर सेंटर रेफर किया।

बच्चे को हायर सेंटर ले जाने के लिए एंबुलेंस चाहिए थी, लेकिन फोन करने के बाद भी 108 एंबुलेंस नहीं पहुंची। इसके बाद परेशान परिजनों ने दो हजार रुपये में टैक्सी बुक कर नवजात को पाटी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। शिशु की सांसें थम गई थीं। पार्टी अस्पताल की डॉक्टर मोनिका जोशी ने बताया कि शिशु ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था। क्योंकि शिशु का पूरा शरीर पीला हो गया था, ऐसे में संभावना है कि उसकी मौत पीलिया की वजह से हुई हो। उधर मामले को लेकर 108 स्वास्थ्य सेवा चंपावत के प्रभारी कमल शर्मा ने बताया कि रीठा साहिब की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा 108 की एंबुलेंस इंजन खराब होने के कारण भिंगराड़ा गांव में खड़ी है। इसे ठीक होने के लिए भेजा जा रहा है। एंबुलेंस के ठीक होने तक रीठा साहिब की कॉल को पाटी की एंबुलेंस के द्वारा पूरा किया जाएगा। कुल मिलाकर दुखद घटना के बाद खराब एंबुलेंस को ठीक कराने भेज दिया गया, लेकिन अगर ये कदम पहले उठाया गया होता तो शायद मासूम की जान नहीं जाती।