Uttarakhand News 21 Aug 2024: तपोवन क्षेत्र में सोमवार शाम आधे घंटे की भारी बारिश से दमुवाढूंगा क्षेत्र में तीन कॉलोनियों के 120 परिवारों का जनजीवन बेपटरी हो गया। आपदा में गायत्री विहार, कृष्णा विहार और देवकी विहार स्थित घरों में रखा राशन, रजाई-गद्दे, बिस्तर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खराब होने के साथ 30 वाहनों और खेतीबाड़ी को नुकसान हुआ है। आपदा से परिवरों को दो करोड़ की चपत लगी है। मंगलवार शाम फिर बारिश शुरू होते ही प्रभावितों के माथे पर शिकन नजर आई। हालांकि हालात सामान्य रहे।

सोमवार शाम 6:45 बजे दमुवाढूंगा तपोवन वन क्षेत्र में अतिवृष्टि से देवखड़ी नाला अचानक उफान पर आ गया। पानी का बहाव बढ़ने से नाले का तटबंध दो स्थानों से टूट गया जिससे पत्थर, बोल्डर और मलबा नीचे की ओर स्थित तीनों कालोनियों में घुस गया। पौने सात बजे तक सैकड़ों घरों में मलबा भर चुका था। एक झोपड़ी भी मलबे में दबकर ध्वस्त हो गई। दो स्कूल बसों के अलावा 30 दोपहिया और चारपहिया वाहन भी मलबे की चपेट में आ गए। लोगों ने घरों के आसपास खाली जमीन में सब्जियां और धान रोपा था। मलबे और पानी के बहाव ने इन फसलों को भी रौंद दिया। इससे काश्तकारों को खासा नुकसान हुआ है। आपदा के चलते पेयजल लाइन के साथ कई जगह ओएफसी भी बह गई है। लोगों के जेहन से सोमवार की काली रात का भयावह मंजर गया नहीं था कि मंगलवार शाम को एक बार फिर जब बारिश शुरू हुई तो दमुवाढूंगा क्षेत्र में लोग दहशत में नजर आए। डरे सहमे लोग थोड़ी-थोड़ी देर बाद अपने घरों की छतों पर जाकर पीछे बह रहे नाले की स्थिति का आकलन करते रहे। नाले में पानी कम होने पर लोगों ने राहत महसूस की।

क्षेत्र में दो मकानों की चहारदीवारी टूटी है। नाले का दो सौ मीटर तटबंध बहा है। क्षेत्र से कोई परिवार शिफ्ट नहीं हुआ है। एक झोपड़ी के टूटने के कारण उसमें रह रहे लोग पास में ही स्थित अपनी दूसरी झोपड़ी में चले गए हैं। 120 मकानों में मलबा घुसा है और अब तक लगभग दो करोड़ के नुकसान का आंकलन किया जा चुका है। इसमें सरकारी नुकसान का आंकलन शामिल नहीं है।
-सचिन कुमार तहसीलदार हल्द्वानी

पहाड़ी से सटकर बना दिए मकान, कहां गया प्राधिकरण
पिछले वर्षों के दौरान तपोवन की पहाड़ी से सटाकर नीचे की ओर लोगों ने कई मकान बना दिए। इन्हीं मकानों के पीछे से नाला गुजरता है। नाले के एक ओर कई जगह वायरक्रेट लगाई गई थी जो अब पुरानी हो चुकी है। वायरक्रेट पानी का दबाव झेल नहीं सकी और पानी ने तटबंध को तोड़ते हुए आबादी की ओर रुख कर लिया। सवाल उठता है कि क्षेत्र में पहाड़ी से सटाकर मकान बनाए जा रहे थे तब प्राधिकरण के अधिकारी कहां थे।