PFI Banned: केंद्र सरकार ने बुधवार (28 सितंबर) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके सहयोगियों को गैरकानूनी घोषित करते हुए इन सभी पर पांच साल का बैन लगा दिया है। सरकार के आदेश के साथ ही पीएफआई को UAPA की धारा 35 के तहत 42 प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में जोड़ा गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, पीएफआई और उसके सहयोगी ऐसी विनाशकारी कृत्यों में शामिल रहे हैं, जिससे जन व्यवस्था प्रभावित हुई है, देश के संवैधानिक ढांचे को कमजोर किया जा रहा है और आतंक-आधारित शासन को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
केंद्र ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA), 1967 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को एक गैरकानूनी संघ घोषित किया है। जिसके बाद देश भर में केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और राज्य पुलिस के पास अब संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार करने, उसके खातों को फ्रीज करने और यहां तक कि उनकी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है।
संगठन के सदस्यों के साथ क्या सलूक हो सकता है?
किसी संगठन को प्रतिबंधित करने या उसे आतंकी संगठन घोषित करने के बाद उसकी फंडिंग और उससे जुड़े लोग अपराधी बन जाते हैं। UAPA की धारा 38 के तहत, ऐसा व्यक्ति जो किसी आतंकी संगठन से जुड़ा है, उसे एक से 10 साल की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजाएं हो सकती है। हालांकि, इससे उन लोगों को छूट दी गई है, जिन्होंने आतंकी संगठन घोषित होने से पहले ही संगठन छोड़ दिया था या फिर किसी गतिविधि में शामिल नहीं थे।
फंडिंग करने पर 14 साल की कैद या जुर्माना: वहीं, आतंकी संगठन की मदद करने वाले को 10 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। अगर कोई ऐसे संगठनों को फंडिंग करता है तो 14 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजा हो सकती है। UAPA की धारा 20 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी आतंकी गिरोह या आतंकी संगठन का सदस्य है तो उसे उम्रकैद और जुर्माने की सजा हो सकती है।
धारा 10 यह भी कहती है कि कोई भी व्यक्ति जो ऐसे संघ का सदस्य है या ऐसे संघ की बैठकों में भाग लेता है या इस तरह के संघ में योगदान देता है या किसी भी तरह से इस तरह के संघ के संचालन में सहायता करता है, उसे दो साल तक की कैद हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
सरकार फंड के इस्तेमाल को कर सकती है बैन: कानून के मुताबिक अगर व्यक्ति के पास विस्फोटक हैं और इसके परिणामस्वरूप जीवन की हानि या गंभीर चोट या संपत्ति को महत्वपूर्ण नुकसान होता है, तो व्यक्ति को मौत या पांच साल तक जेल या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। यूएपीए की धारा 7 सरकार को किसी भी गैरकानूनी संगठन द्वारा फंड के इस्तेमाल को बैन करने की शक्ति देती है।
कानून के मुताबिक किसी संगठन को गैरकानूनी कामों के लिए प्रतिबंधित करने के बाद, केंद्र सरकार लिखित आदेश द्वारा ऐसे व्यक्ति को पैसों का भुगतान करने, वितरित करने, स्थानांतरित करने या किसी भी तरीके से इस्तेमाल करने से रोक सकती है। कानून एजेंसियों और पुलिस को ऐसे संगठनों के परिसरों पर छापा मारने, तलाशी लेने और उनकी अकाउंट बुक की जांच करने का अधिकार भी देता है।