Uttarakhand News Surya Grahan 2022 14 अक्टूबर 2022: ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले आरंभ हो जाता है। ऐसे में दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच लगने वाले ग्रहण का सूतक काल 25 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगा। 25 अक्टूबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत में आंशिक रूप से रहेगा।

सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर को लगने जा रहा है। यह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई देने वाला पहला सूर्यग्रहण है, यह देश के लगभग सभी राज्यों में दिखाई देगा। इसी के साथ आइए जानते हैं सूतक काल का समय क्या है और सूर्यग्रहण का समय क्या है। साथ ही जानें सूर्यग्रहण के बाद क्या करना चाहिए।

सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को मंगलवार के दिन तुला राशि में लगने जा रहा है। यह सूर्यग्रहण भारत में दिखने वाला पहला सूर्यग्रहण होगा। यह सूर्य ग्रहण 4 घंटे 3 मिनट तक रहेगा। 2019, 2020 के बाद यह बड़ा सूर्यग्रहण भारत में दिखेगा। 2019 और 2020 में जब सूर्यग्रहण लगा था तो देश दुनिया पर इसका व्यापक असर देखा गया था। अबकी बार लगने वाला सूर्यग्रहण भी काफी प्रभावशाली माना जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका सूतक दिवाली की रात से ही लग रहा है। आइए जानते हैं सूर्यग्रहण का समय, परमग्रास और सूतक का समय विस्तार से।

सूर्यग्रहण का समय 25 अक्टूबर 2022:
सूर्य ग्रहण का प्रारंभ दोपहर में 2 बजकर 29 मिनट।
सूर्य ग्रहण का मध्य काल शाम 4 बजकर 30 मिनट।
ग्रहण समाप्त शाम को 6 बजकर 32 मिनट पर।
सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 3 मिनट है।
भारत में सूर्यग्रहण का मोक्ष होने से पहले ही सूर्यास्त हो जाएगा। इसलिए भारत में सूर्यास्त ही सूर्यग्रहण का मोक्ष माना जाएगा।

ग्रहण का सूतक काल:
सूर्ग्र ग्रहण का सूतक सूर्य ग्रहण के आरंभ होने से 12 घंटे पहले आरंभ हो जाता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण का आरंभ 25 अक्टूबर को 2 बजकर 29 मिनट होने से ग्रहण का सूतक 24 अक्टूबर दिवाली की रात 2 बजकर 29 मिनट से लग जाएगा। ऐसे में सूर्य दिवाली की रात देवी लक्ष्मी की आराधना और मंत्र जप करना बहुत ही शुभ फलदायी रहेगा। दिवाली की रात सूतक लग जाने के बाद से मंदिर के दरवाजे बंद हो जाएंगे और ग्रहण संबंधी नियमों का पालन, देवी-देवताओं का स्पर्श 24 तारीख की रात से अगले दिन शाम तक नहीं किया जाएगा।

सूर्यग्रहण के बाद क्या करें:
सूर्यग्रहण लगभग पूरे भारत में दिखाई देगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, सूर्यग्रहण के तुरंत बाद लोगों को स्नान करने के बाद जप और पूजा पाठ करना चाहिए। इसके अलावा कार्तिक मास की अमावस्या को सूर्य ग्रहण घटित होने से इस दिन तीर्थ स्नान, दान करने का विशेष महत्व होगा। शास्त्रों में बताया गया है कि इस तरह की गतिविधियों के बाद मनुष्य का शरीर अपवित्र हो जाता है। इसलिए स्नान करना बेहद जरूरी होता है। दरअसल, धार्मिक मान्यताएं कहती है कि सूर्य ग्रहण राहु और केतु के कारण लगता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है।