Uttarakhand News, 9 November 2022: लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ गुरुवार को मेधावी बच्चों के समक्ष मार्गदर्शक के रूप में सामने आए. उन्होंने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में परचम फहराने वाले मेधावियों का सम्मान किया और सीख दी कि रोल मॉडल बनना है तो जीवन में शॉर्टकट नहीं, चुनौतीपूर्ण रास्ता अपनाना है. चुनौतियां व्यक्ति को मजबूत बनाती हैं, शॉर्टकट का रास्ता पतन की ओर ले जाता है. शॉर्टकट से कभी ऊंचाइयों पर नहीं पहुंचा जा सकता, इसलिए चुनौतीपूर्ण रास्ते को स्वीकार करते हुए जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करें. सैद्धांतिक व व्यावहारिक दोनों ज्ञान को जीवन का हिस्सा बनाकर आगे बढ़ें. सीएम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आगे बढ़ने का मौका देती है. हमारे संस्थान उसके साथ जुड़ें. अभी से तैयारी करें कि भविष्य को कैसे सजा व संवार सकते हैं और अन्य लोगों के लिए रोल मॉडल बन सकते हैं.
प्रतिभा परिवार की नहीं, समाज की होती है
सीएम ने कहा कि मेरिट सूची में जिन बच्चों का नाम है, उनके गांव व मोहल्ले के मार्ग को गौरवपथ के रूप में विकसित करने की व्यवस्था पहले से है, वह उसी रूप में बढ़ेगी. प्रदेश की सूची में जो टॉप टेन होंगे, उन्हें भी गौरवपथ से जोड़ेंगे. जिससे हर व्यक्ति उन पर गौरव की अनुभूति कर सके. प्रतिभा परिवार की नहीं, समाज की होती है. प्रतिभा को बढ़ाने में परिवार का सर्वाधिक योगदान होता है, लेकिन समाज के योगदान को विस्मृत नहीं करना चाहिए. जब समाज का योगदान साथ होता है तो प्रतिभा में निखार आता है. जब प्रतिभा का सम्मान समाज करता है तो समृद्धि को कोई रोक नहीं सकता है.
2017 के पहले कई जनपदों में व्यवसाय थे नकल के अड्डे
सीएम ने कहा कि 2017 से पहले यूपी में परीक्षाओं की शुचिता व पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगा था. नकल के अड्डे खुले हुए थे. कई जनपदों में यह व्यवसाय बन चुका था. शिक्षा की स्थिति अत्यंत खराब थी. कई जगह देखने को मिलता था कि भवन है तो बच्चे नहीं, बच्चे हैं तो शिक्षक नहीं. यदि तीनों की उपलब्धता है भी तो पठन-पाठन का माहौल नहीं. लोगों के मन में था कि जब नकल करके ही पास होना है तो क्लास क्यों करना है, लेकिन 2017 के बाद सरकार ने तय किया कि परीक्षा की शुचिता व पारदर्शिता हर हाल में होनी चाहिए. इसके परिणाम सामने आए. इसके पहले कितना भी मेधावी हो, यूपी के बाहर उसके सामने पहचान का संकट था. लोगों को लगता था कि यह नकल करके पास हुआ होगा, इसलिए उसे महत्व नहीं मिलता था. 2017 के बाद इसमें परिवर्तन आया. न केवल नकल को रोका, बल्कि शिक्षकों की भर्ती भी की. बेसिक शिक्षा में 1.26 लाख, माध्यमिक शिक्षा में 40 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई. गणित, विज्ञान व अंग्रेजी के शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके थे, जब तक नियुक्ति नहीं हुई थी, तब तक मानदेय पर इन्हें रखकर शिक्षा की व्यवस्था की गई.
2017 से पहले परीक्षा व परिणाम में भी होता था अंतर
सीएम ने कहा कि दो वर्ष चुनौतीपूर्ण थे.दुनिया ने कोरोना को झेला है। इस दौरान भी समय से परीक्षा कराना और परिणाम आना बड़ी उपलब्धि है. 2017 से पहले परीक्षा व परिणाम में भी अंतर होता था. 3 महीने परीक्षा चलती थी, रिजल्ट आने में भी दो से ढाई महीने लगते थे. प्रवेश में भी 3 महीने लगते थे. मैंने विभागीय अधिकारियों से पूछा कि 3 महीने परीक्षा, 3 महीने रिजल्ट, 3 महीने प्रवेश और 3 महीने पर्व त्योहारों में व्यतीत हो जाते हैं तो क्लास कब चलती है. आप इसे एक महीना व 15 दिन में कर सकते हैं. ‘जहां चाह, वहां राह’, इसका परिणाम सामने आया. आज माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा 1 महीने में पूरी होती है. परिणाम 15 दिन में आने प्रारंभ हो जाते हैं व 15 दिन में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर 2 महीने में इसे पूरी कर 10 महीने का समय पठन-पाठन के लिए होता है.