प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ में रोपवे का रास्ता लगभग साफ हो चुका है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में मंजूरी मिल गई है। रोपवे के बनने से सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के बीच की दूरी 30 मिनट में तय होगी। जो कि अभी 8 घंटे का पैदल रास्ता है। यह रोपवे करीब 13 किमी लंबा होगा। बोर्ड बैठक में रामबाड़ा से गरूड़चट्टी में लगभग साढ़े 5 किमी पैदल मार्ग के नव निर्माण को अनुमति मिल गई है। परियोजना पर एक हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

केदारनाथ रोपवे समुद्र तल से 11500 फीट, 3500 मीटर की ऊंचाई पर दुनिया के सबसे ऊंचे रोपवे में से एक होगा। तीर्थयात्री सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम केवल 1 घंटे में रोपवे से पहुंचेंगे। जबकि वर्तमान में लगभग 8 से 12 घंटे का समय लगता है। केदारनाथ धाम के लिए रोपवे के निर्माण का प्रस्ताव वैसे तो पहले ही स्वीकृत हो चुका था, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की क्लीयरेंस मिलने का इंतजार किया जा रहा था। इसके साथ ही केदारनाथ के पैदल ट्रेक व हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को भी बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है। इस परियोजना में कुल 26 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जाएगी। इन परियोजनाओं का निर्माण केंद्र सरकार की पर्वतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा। रोपवे की क्षमता प्रति घंटा 5 हजार यात्रियों को ले जाने की होगी।

मार्च 2023 से सोनप्रयाग केदारनाथ रोपवे का निर्माण का कार्य शुरू करने का प्रस्ताव

केदारनाथ के लिए 13 किमी लंबे रोपवे निर्माण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड,एनएचएलएमएल ने एक कंपनी को सौंपी है। रोपवे निर्माण के लिए सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 11 हेक्टेयर भूमि अधिगृहित की गई है। 22 टॉवर के सहारे बनने वाले रोपवे के डिजायन का लेआउट भी कार्यदायी संस्था ने तैयार किया है। मार्च 2023 से सोनप्रयाग केदारनाथ रोपवे का निर्माण का कार्य शुरू करने का प्रस्ताव है। सोनप्रयाग केदारनाथ रोपवे पर चार स्टेशन गौरीकुंड, चीरबासा, लिनचोली और केदारनाथ में बनेंगे। रोपवे से एक समय में दो से ढाई हजार यात्री एक तरफा जा सकेंगे। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे से 13 किमी की दूरी लगभग 30 से 35 मिनट में पूरी हो सकेगी।

पहले भी मिली थी मंजूरी
वर्ष 2005 में रामबाड़ा केदारनाथ रोपवे को मंजूरी मिली थी। तब उत्तरांचल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी ने भूमि सर्वेक्षण सहित अन्य औपचारिकताएं भी पूरी की थीं। शासन को 70 करोड़ की धनराशि का प्रस्ताव भेजा था। शासन स्तर पर रोपवे निर्माण को पीपीपी मोड में कराने का निर्णय लिया गया लेकिन किसी भी कंपनी ने निविदा नहीं डाली। लेकिन अब इसका रास्ता साफ हो गया है।