Uttarakhand News, उत्तराखंड 14 अक्टूबर 2022: कुंडा थाना क्षेत्र के भरतपुर गांव में ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की फायरिंग में मौत के बाद मचे हुए बवाल में धामी सरकार की उत्तराखंड पुलिस और योगी आदित्यनाथ की यूपी पुलिस आमने-सामने आ गई है। बुधवार देर रात मचे बवाल के बाद आज गुरुवार को फॉरेंसिंक की टीम ने भरतपुर गांव पहुंचकर सबूत भी जुटाए। मामले में उत्तराखंड और यूपी पुलिस की ओर से केस दर्ज किया गया है।

कुंडा थाना में ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की हत्या की दो राज्यो की पुलिस को आमने-सामने लाने वाली घटना में यूपी पुलिस जिस खनन माफिया जफर की तलाश में उत्तराखंड में घुसी थी, उसके बारे में अनोखा खुलासा हुआ है। मुरादाबाद जिले के डिलारी के कांकरखेड़ा गांव निवासी जफर पर 50 हजार रुपए का ईनाम था। कुछ साल पहले उसने दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय से एमए किया था।

दिल्ली में पढ़ाई के दौरान ही वह खनन कारोबार से जुड़े सिडिंकेट के लोगों के संपर्क में आ गया था। इस कारोबार से उसने कुछ ही समय में 18 डंपर चलवाता था। सत्ता में बैठे सफेदपोश व प्रशासन में हनक के बल पर वह पूरे सिंडीकेट पर राज करने की सोच रहा था। इसी दुस्साहस के चलते वह एसडीएम को बंधक बनाकर अपने अवैध खनन में लिप्त एक डंपर को छुड़ा लाया था। इस कारण ही पुलिस उसके पीछे पड़ी थी। उसका भाई नबी भी उसके साथ इस धंधे में शामिल था।

बताया गया है कि जफर की कांकरखेड़ा में एक भवन निर्माण सामग्री की दुकान भी है, जिसके जरिये ही यह खनन कारोबारियों के संपर्क में आया। खनन में उतरने के बाद से ही उसकी संपत्ति बढ़ती गई। बीती 13 सितंबर को एसडीएम और खनन अधिकारी को बंधक बनाने के मामले में जफर मुख्य अभियुक्त के रूप में शामिल रहा। सिंडीकेट माफिया मुहम्मद तैय्यब ने पूछताछ में उसका नाम लिया। यूपी क्षेत्र में अनेक स्थानों पर दबिश के बाद जफर ने उत्तराखंड की सीमा में काशीपुर के कुंडा में बचने के लिए शरण ले रखी थी।
उत्तराखंड और यूपी के बार्डरों पर दूसरे अवैध खनन में लिप्त डंपरों को पार कराने के लिए जफर और मुहम्मद तैय्यब का नेटवर्क लंबे समय से काम कर रहा है। दोनों के गुर्गे इसके लिए हर डम्पर से एक हजार रुपये की वसूली करते थे ओर यह पैसा कुछ सफेदपोश और कुछ अफसरों तक भी पहुंचाते थे।

उत्तराखंड पुलिस के डीआईजी (कुमाऊं जोन) एनए भरणे ने कहा कि यूपी पुलिस उत्तराखंड में स्थानीय पुलिस को बिना कोई सूचना दिए दबिश देने आई थी, जिसके बाद बवाल शुरू हुआ। कहा कि कोई भी पुलिसकर्मी वर्दी में भी नहीं थे। यह बहुत गलत है कि पुलिसकर्मियों द्वारा जबरन घर में घुसकर फायरिंग की गई, जिससे एक महिला की मौत हो गई, जिसके बाद हत्या का केस दर्ज किया गया है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पुलिस जांच कर रही है कि क्या यूपी पुलिस ने इनामी बदमाश को पकड़ने के लिए दी गई दबिश से पहले स्थानीय पुलिस को सूचित किया था या नहीं? महिला की मौत के बाद बचे बवाल में घायल यूपी पुलिसकर्मी, बिना उत्तराखंड पुलिस को सूचित किए वापिस यूपी (मुरादाबाद) चले गए, जिस पर भी उत्तराखंड पुलिस ने सवाल उठाया है।

उत्तराखंड में यूपी पुलिस की किरकिरी होने के बाद डीआईजी मुरादाबाद शलभ माथुर मुरादाबाद पुलिस के बचाव में आए। उनका कहना है कि 50 हजार के इनामी बदमाश के लिए यूपी पुलिस द्वारा दबिश दी गई थी। ‘जब हमारी टीम पहुंची तो पुलिस टीम को बंधक बना लिया था और हथियार भी छीन लिए गए थे’।

तीन पुलिसकर्मियों को गोली लगी है, जबकि तीन पुलिसकर्मी ग्रामीणों के साथ झड़प में घायल हुए हैं, जबकि ग्रामीणों ने पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था। वहीं घटना के बाद यूपी पुलिस ने भी ग्रामीणों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। यूपी पुलिस भी मामले की गहनता से जांच कर रही है।

मालूम हो कि बुधवार रात ऊधमसिंह नगर जिला पुलिस के आला अधिकारियों या स्थानीय पुलिस को यूपी पुलिस की दबिश की कोई सूचना नहीं थी। यही वजह रही कि जब सादा कपड़ों में यूपी पुलिस गांव के एक घर की छत पर पहुंची और उन्होंने ग्रामीणों के पूछताछ करने पर पिस्टल निकाली तो बवाल खड़ा हो गया था। यूपी पुलिस की कार्रवाई के दौरान गोली लगने से जसपुर के ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की जान चली जाने के बाद ग्रामीणों के आक्रोश और सड़क जाम करने के बाद अब उत्तराखंड पुलिस और यूपी पुलिस आमने-सामने आ गए हैं।

नियमानुसार, किसी भी दूसरे प्रदेश की पुलिस जब अन्य प्रदेश में किसी आरोपी को पकड़ने के लिए जाती है, तो स्थानीय थाना या चौकी में आमद दर्ज कराती है। स्थानीय पुलिस का क्षेत्र होने के चलते उन्हें साथ लिया जाता है, जिससे स्थानीय लोग लोकल पुलिस को पहचान लें और पुलिस की कार्रवाई का जनता की तरफ से कोई विरोध न हो।
वहीं इस मामले में यूपी पुलिस ने स्थानीय पुलिस को कोई सूचना नहीं दी। महिला की हत्या के बाद हाईवे में धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना था कि यूपी पुलिस के 10 से 12 लोग सादे कपड़ों में थे और सभी के पास पिस्टल थी।
जब उनसे उनका पहचान पत्र दिखाने को कहा तो उन्होंने वह भी नहीं दिखाया। वहीं जब उनसे कुंडा थाना पुलिस को अपने साथ बुलाने के लिए कहा तो यह भी यूपी पुलिस की टीम ने नहीं किया। पुलिस ने ग्रामीणों के साथ अभद्रता करने के साथ ही रौब दिखाने से बिल्कुल भी परहेज नहीं किया।

50 हजार के इनामी को दबोचने आई थी पुलिस: पचास हजार रुपए के इनामी जफर को पकड़ने के लिए एसओजी और ठाकुरद्वारा पुलिस बुधवार को काशीपुर गई थी। बिना पूरे होमवर्क और तैयारी के की गई पुलिस की ये कार्रवाई उस पर ही भारी पड़ गई। न केवल एक महिला की मौत हो गई बल्कि दो सिपाहियों को भी गोली लग गई। इंस्पेक्टर ठाकुरद्वारा समेत पांच अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। जानकारी मिलने पर पहुंचे डीआईजी और एसएसपी ने ठाकुरद्वारा पहुंचकर हालात संभाले।

खाकी की हनक दूसरे प्रदेश में अक्सर पड़ी है भारी:किसी आपराधिक मामले को लेकर दूसरे प्रदेश में दबिश के लिए जाने को लेकर अक्सर पुलिस विवादों में घिरती है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब पुलिस की दबिश को लेकर बवंडर खड़ा हुआ हो। पहले भी दबिश पर गई पुलिस टीमों पर हमले हुए हैं। दबिश में कभी यूपी पुलिस के साथ मारपीट हुई तो कभी उत्तराखंड पुलिस की किरकिरी हुई है। इसका अहम कारण पुलिस टीमों की ओर से अक्सर बरती जाने वाली लापरवाही है।