दिल्ली की इस दिल दहला देने वाली घटना जिसमें 26 साल के युवक ने अपनी गर्लफ्रेंड को 35 टुकड़ों में काट डाला। इसके बाद शरीर के टुकड़ों को उसने दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में फेंक दिया।पिछले कई दशकों के दौरान समाज सुधार के बड़े प्रयासों के बावजूद आज भारत में धर्म और जाति के नाम पर महिलाओ और बच्चों पर होने वाले विवादों की कमी नहीं है|इसी प्रकरण में अब लव जिहाद पर भी चर्चाओं का दौर शुरू हूआ हैl
भारत में सामाजिक और धार्मिक रूढ़िवादिता के कारण अंतरजातीय तथा अंतरधार्मिक विवाहों के लिये उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिये वर्ष 1954 में ‘विशेष विवाह अधिनियम को लागू किया गया था।परंतु कई कानूनी और सामाजिक बाध्यताओं के कारण अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में लोग विवाह के लिये धर्मांतरण को अधिक प्राथमिकता देते हैं|कुछ संगठनों का आरोप है कि अंतरधार्मिक विवाहों के माध्यम से ज़बरन धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया जाता है।हाल ही में देश के कई राज्यों (जैसे-मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश) द्वारा ऐसे विवाहों को रोकने के लिये कानूनों के निर्माण की बात कही गई है जिन्हें उनके द्वारा ‘लव जिहाद’ की संज्ञा दी गई है|21वीं सदी में भी देश में धर्म और जाति के नाम पर होने वाला भेदभाव एक बड़ी चिंता का विषय है, ऐसे में वर्तमान में समाज में लोगों में निजता तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता (विवाह, धर्म का चुनाव या अन्य मामलों में भी) के संदर्भ में व्यापक जागरूकता लाने की आवश्यकता है।हालांकि भारत में महिलाओं पर अपराध एक गंभीर मुद्दा है आंकड़ों की बात की जाय तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2021 में भारत में महिला अपराधों की संख्या 4,09273 थी| जिसमें 59% अपहरण, 10% हत्या, .07% बलात्कार, दहेज़ 16%, आत्महत्या 13%, तथा 7% जबरदस्ती विवाह मामले थे|

विगत वर्षो में महिल अपराध

21वीं सदी में भी देश में इस तरह के अपराध बड़ी चिंता का विषय है, ऐसे में वर्तमान में समाज में लोगों में निजता तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता (विवाह, धर्म का चुनाव या अन्य मामलों में भी) के संदर्भ में व्यापक जागरूकता लाने की आवश्यकता है|विवाह अधिनियम से जुड़े कानूनों में अपेक्षित बदलाव के साथ और उन्हें लागू करने में होने वाली अनावश्यक देरी को दूर करने के विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिये।भारत में विवाह से जुड़े कानूनों में व्याप्त जटिलता को दूर करने के लिये ‘समान नागरिक संहिता’ को अपनाया जाना बहुत ही आवश्यक है।