Bhuwan Melkani

Women Safety and Growing Concerns in Uttarakhand: हाल ही में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड ने देव भूमि के नाम से जाने जाने वाले उत्तराखंड में महिला सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है जो एक चिंतनीय विषय है

हमारा देश पूरे विश्व में अपने अलग-अलग रीति-रिवाजों, विविधताओं के लिए जाना जाता है| यहां प्राचीन काल से ही महिलाओं को एक विशिष्ट सम्मान आदर दिया जाता रहा है परंतु पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं पर हो रहे अपराध जैसे निर्भया हत्या कांड, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न आदि और अब उत्तराखंड में घटित अंकिता हत्याकांड और उसकी जांच के दौरान हुई अनियमितताएं पुलिस प्रशासन और सरकार कार्यशैली पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाती हैं |

                     संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को पूर्ण लिंग समानता प्राप्त करने में 132 वर्षों का समय लगेगा जो यह दर्शाता है कि महिला सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर हम और हमारी सरकारें कितनी गंभीर है|  भारतीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में 2018-2020 मैं 8000 से भी अधिक महिला हिंसा संबंधी अपराध दर्ज हुए|  तथा 2020 में 450 से अधिक मामले सिर्फ यौन हिंसा के थे, जिनमें 93% यौन अपराध महिलाओं के परिचितों द्वारा किए गए ,यह आंकड़े उत्तराखंड के समाज की दिशा पर भी एक प्रश्नचिन्ह लगाते हैं|

                        2019 में दर्ज महिलाओं पर अपराधों(2541) में से 1400 पुलिस की जांच हेतु 1 वर्ष बाद भी लंबित पाए गए| जो  पुलिस  कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है| तथा 2020 में उत्तराखंड कोर्ट मैं महिला अपराध संबंधी 6500 से अधिक  मामले 1 वर्ष से अधिक समय से लंबित  हैं|   केंद्र सरकार द्वारा महिला सुरक्षा पर दिया जाने वाला निर्भया फंड उत्तराखंड की सरकार द्वारा 2020 में सिर्फ 50% तथा 2021 मैं सिर्फ 60% ही  खर्च कर पाई| तथा इसमें भी  अधिकांश खर्च सिर्फ प्रचार प्रसार में ही किया गया जो सरकारों की, इस गंभीर मुद्दे पर मानसिक स्थिति को दर्शाता है |

                          भारतीय संविधान महिला व पुरुष दोनों को समान अधिकार प्रदान करता है परंतु महिलाओं पर इस तरह के अपराध इस अधिकार की अवहेलना करते हैं| अतः सरकारों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इस प्रकार की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करने का प्रयास करें |तथा सरकार को यह चाहिए कि वह पुलिस सुधार, सरकारी  योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन ,पुलिस कार्यप्रणाली में सुधार जैसे गंभीर मुद्दों पर विचार करे|

यह लेखक के अपने विचार हैं